उत्तल और अवतल दर्पण में वस्तु और प्रतिबिम्ब की स्थिति से कई सवाल पूछे जाते है। इस आर्टिकल में अवतल और उत्तल दर्पण में वस्तु की स्थिति एवं प्रतिबिंब के बनने को समझाया गया है। इस आर्टिकल को अच्छी तरह पढ़ने से हम उत्तल और अवतल दर्पण में प्रतिबिंब की स्थिति और हमारे आस-पास लगे दर्पण किस प्रकार के होते है जैसी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है।
अवतल और उत्तल दर्पण की जानकारी परीक्षा एवं दैनिक जीवन के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इस पाठ की बेहतरीन जानकारी के बाद ही हम सवाल (Numericals) लगा सकते है। इस पाठ से न केवल 10th, 12th बल्कि competitive Exam की परीक्षा में सवाल पूछे जाते है।
अवतल और उत्तल दर्पण में वस्तु और प्रतिबिम्ब की स्थिति व बनना
NO. | दर्पण | वस्तु की स्थिति | प्रतिबिम्ब की स्थिति | प्रतिबिम्ब की प्रकृति तथा आकार |
---|---|---|---|---|
A. | उत्तल | वस्तु की प्रत्येक स्थिति के लिए | दर्पण के पीछे, दर्पण तथा फोकस के बीच में | आभासी, सीधा तथा वस्तु से छोटा |
1. | अवतल | वस्तु अनन्त पर है | फोकस तल पर बनेगा | वास्तविक, उल्टा तथा वस्तु से बहुत छोटा बनेगा |
2. | अवतल | वक्रता केंद्र तथा अनन्त के बीच में | फोकस F तथा वक्रता केंद्र C के बीच में | वास्तविक, उल्टा तथा वस्तु से छोटा |
3. | अवतल | वक्रता केंद्र C पर | वक्रता केंद्र पर | वास्तविक, उल्टा तथा आकार में वस्तु के बराबर |
4. | अवतल | फोकस F तथा वक्रता केंद्र C के बीच में | वक्रता केंद्र c तथा अनन्त के बीच में | वास्तविक, उल्टा तथा वस्तु से बड़ा |
5. | अवतल | फोकस F पर | अनन्त पर | वास्तविक, उल्टा तथा वस्तु से बहुत बड़ा |
6. | अवतल | दर्पण के ध्रुव P तथा फोकस F के बीच में | दर्पण के पीछे | आभासी, वस्तु से बड़ा तथा सीधा |
उत्तल दर्पण में प्रतिबिंब का बनना-
उत्तल दर्पण में वस्तु की प्रत्येक स्थिति में केवल एक ही प्रकार से प्रतिबिम्ब बनता है। अतः यदि हम वस्तु अनन्त पर रखे या फोकस पर रखे या अन्य किसी भी स्थान पर रखे प्रतिबिंब दर्पण के पीछे व फोकस के बीच बनता है।
अब हम इसके प्रतिबिंब का बनना देखेंगे-
- M1M2 एक उत्तल दर्पण है।
- OO’ वस्तु है।
- II’ प्रतिबिंब है।
- पहली किरण- वस्तु के O’ से एक किरण O’A मुख्य अक्ष के समांतर चलती है जो दर्पण से परावर्तन के पश्चात फोकस F से आती हुई दिखाई पड़ती है।
- दूसरी किरण- वस्तु के O’ से दूसरी किरण O’B वक्रता केंद्र C की ओर जाती है। जो परावर्तित होकर अपने मार्ग में वापिस लौट जाती है।
- ये दोनो किरणे एक दूसरे को I’ पर काटती है तथा I’ से आती हुई प्रतीत होती है। यह O’ का प्रतिबिंब है।
- I’ से मुख्य अक्ष पर लम्ब II’ है, जो वस्तु OO’ का पूरा प्रतिबिम्ब है।
- प्रतिबिम्ब की प्रकृति- यह प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा, वस्तु से छोटा बनता है।
- प्रतिबिम्ब बनने का स्थान- दर्पण के पीछे, दर्पण व फोकस के बीच में बनता है।
अवतल दर्पण में प्रतिबिंब का बनना-
- M1M2 एक अवतल दर्पण है।
- OO’ वस्तु है
- II’ प्रतिबिंब है।
1.) अवतल दर्पण में जब वस्तु अनन्त पर हो
- चित्र 1 के अनुसार वस्तु दर्पण से अनंत दूरी पर है। और वस्तु के O’ से आने वाले किरणे आपस में समानांतर होगी।
- पहली किरण- पहली किरण दर्पण के फोकस से गुजरती है और परावर्तन के नियम के अनुसार मुख्य अक्ष के समांतर हो जाती है।
- दूसरी किरण- दूसरी किरण दर्पण के वक्रता केंद्र से होकर गुजरती है और परावर्तन के नियम अनुसार उसी दिशा में वापस लौट जाती है।
- ये दोनो किरणे एक दूसरे को फोकस तल में बिंदु I’ पर काटती है। जिससे O’ का प्रतिबिंब I’ प्राप्त होता है और O का प्रतिबिम्ब I’ प्राप्त होता है। अतः वस्तु OO’ का पूरा प्रतिबिंब II’ प्राप्त होता है।
प्रतिबिम्ब की प्रकृति- प्रतिबिम्ब वास्तविक, उल्टा तथा वस्तु से बहुत छोटा प्राप्त होता है।
प्रतिबिम्ब बनने का स्थान- प्रतिबिंब दर्पण के फोकस पर बनता है।
2.) अवतल दर्पण में जब वस्तु वक्रता केंद्र तथा अनन्त के बीच हो
- चित्र 2 के अनुसार जब वस्तु OO’ वक्रता केंद्र तथा अनन्त के बीच है।
- पहली किरण- पहली किरण O’ से मुख्य अक्ष के समान्तर चलती है जो दर्पण के बिंदु A से परावर्तन के बाद फोकस F से होकर गुजरती है।
- दूसरी किरण- दूसरी किरण O’ से दर्पण के वक्रता केंद्र से गुजरती है और नियमानुसार अपने मार्ग में वापस लौट जाती है।
- ये दोनों किरणे एक दूसरे को बिंदु I’ पर मिलती है, जो O’ का प्रतिबिंब है। I’ से मुख्य अक्ष पर लंब डालने पर वस्तु OO’ का प्रतिबिंब II’ प्राप्त होता है।
प्रतिबिम्ब की प्रकृति- प्रतिबिम्ब वास्तविक, उल्टा तथा वस्तु से छोटा प्राप्त होता है।
प्रतिबिम्ब का स्थान- प्रतिबिम्ब फोकस और वक्रता केंद्र के बीच में प्राप्त होता है।
3.) अवतल दर्पण में जब वस्तु वक्रता केंद्र पर हो
- चित्र 3 में वस्तु OO’ वक्रता केन्द्र C पर है।
- पहली किरण- पहली किरण O’ से मुख्य अक्ष के समान्तर चलती है जो दर्पण के बिंदु A से परावर्तित होकर फोकस F से होकर गुजरती है।
- दूसरी किरण- दूसरी किरण O’ से चलकर दर्पण के फोकस F से होकर जाती है जो दर्पण के बिंदु B से परावर्तित होकर मुख्य अक्ष के समांतर हो जाती है।
- ये दोनो किरणे एक दूसरे को I’ पर काटती है जहा O’ का प्रतिबिंब I’ प्राप्त होता है। I’ से दर्पण के मुख्य अक्ष पर लंब डालने पर वस्तु OO’ का पूरा प्रतिबिंब II’ प्राप्त होता है।
प्रतिबिम्ब की प्रकृति- वास्तविक, उल्टा तथा आकार में वस्तु के बराबर
प्रतिबिम्ब का स्थान- वक्रता केंद्र पर प्राप्त होता है।
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4.) अवतल दर्पण में जब वस्तु फोकस और वक्रता केंद्र के बीच में हो
- चित्र 4 में वस्तु OO’ दर्पण के मुख्य फोकस F तथा वक्रता केन्द्र C के बीच में स्थित है।
- पहली किरण- O’ से मुख्य अक्ष के समान्तर चलने वाली पहली किरण O’ दर्पण के बिंदु A परावर्तित होकर मुख्य फोकस F से होकर जाती है।
- दूसरी किरण- दूसरी आपतित किरण O’B है जो मुख्य फोकस F से होकर जाती है, परावर्तित होकर मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती हैं।
- दोनों परावर्तित किरणें परावर्तन के पश्चात एक दूसरे को I’ पर काटती हैं। जहां O’ का प्रतिबिंब I’ प्राप्त होता है। I’ से दर्पण के मुख्य अक्ष पर लंब डालने पर वस्तु OO’ का पूरा प्रतिबिंब II’ प्राप्त होता है।
प्रतिबिम्ब की प्रकृति- वास्तविक, उल्टा व वस्तु से बड़ा है।
प्रतिबिम्ब का स्थान- यह प्रतिबिम्ब दर्पण के वक्रता केन्द्र तथा अनन्त के बीच बनता है।
5.) अवतल दर्पण में जब वस्तु फोकस पर हो
- चित्र 5 के अनुसार वस्तु OO’ फोकस F पर स्तिथ है।
- पहली किरण पहली किरण O’ से मुख्य अक्ष के समान्तर चलती है तथा दर्पण के बिंदु A से परावर्तित होकर दर्पण के फोकस से होकर गुजरती है।
- दूसरी किरण दूसरी किरण वक्रता केंद्र C से होकर गुजरती है और परावर्तन के नियमानुसार अपने मार्ग में वापिस लौट जाती है।
- क्योंकि ये दोनो किरणे आपस मे समांतर है। अतः O’ का प्रतिबिंब अनन्त पर प्राप्त होता है। जिसके कारण वस्तु OO’ का प्रतिबिम्ब भी अनन्त पर प्राप्त होता है।
- प्रतिबिम्ब की प्रकृति- वास्तविक, उल्टा तथा वस्तु से बहुत बड़ा बनेगा।
- प्रतिबिंब का स्थान- प्रतिबिम्ब अनन्त पर प्राप्त होगा।
6.) अवतल दर्पण में जब वस्तु ध्रुव तथा फोकस के बीच में हों
चित्र 6 में वस्तु OO’ दर्पण के ध्रुव तथा फोकस के बीच में स्थित है।
- पहली किरण- ये किरण मुख्य अक्ष के समान्तर चलती है जो दर्पण से परावर्तन के बाद फोकस से होकर गुजरती है।
- दूसरी किरण- ये किरण दर्पण के वक्रता केंद्र से होकर गुजरती है तथा अपने रास्ते में वापस लौट जाती है।
- चित्रानुसार ये दोनो किरणे एक दुसरे को दर्पण के सामने नहीं काटती है। अतः इन्हें दर्पण के पीछे बढ़ाने पर ये बिंदु I’ से आती हुई प्रतीत होती है। यहाँ O’ का आभासी प्रतिबिम्ब इस प्राप्त होता है। तथा वस्तु OO’ का प्रतिबिंब II’ प्राप्त होता है।
- प्रतिबिम्ब की प्रकृति- प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा तथा वस्तु से बड़ा बनेगा।
- प्रतिबिम्ब का स्थान- दर्पण के पीछे प्राप्त होगा।
गोलीय दर्पण से प्राप्त प्रतिबिम्ब को खींचने के नियम
यहाँ हम परावर्तन के नियम की बात नहीं कर रहे है। इसमें हम किसी गोलीय दर्पण से किरण को टकराने पर प्रतिबिम्ब को खींचने के नियम को बताया गया है।
पहला नियम- चित्र X दर्पण की मुख्य अक्ष के समान्तर चलने वाली किरण परावर्तन के बाद मुख्य फोकस से होकर जाती है (अवतल दर्पण में) या मुख्य फोकस से आती हुई प्रतीत होती है (उत्तल दर्पण में)। चित्र X
दूसरा नियम- मुख्य फोकस में को होकर जाने वाली (अवतल दर्पण में) या मुख्य फोकस की ओर जाने वाली (उत्तल दर्पण में) किरण दर्पण से परावर्तित होकर उसके समानांतर हो जाती है। चित्र Y
तीसरा नियम– वक्रता केंद्र में को होकर जाने वाले (अवतल दर्पण में) या वक्रता केंद्र की ओर जाने वाली (उत्तल दर्पण में) किरण परावर्तन के पश्चात अपने ही मार्ग में वापस लौट आती है। चित्र Z
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अतः इस आर्टिकल में आपको बेहतरीन ढंग से अवतल तथा उत्तल दर्पण में प्रतिबिंब का बनना (Practical Video) के साथ बताया गया है जिससे आपके सारे Doubt समाप्त हो जाते है।
इसके अगले आर्टिकल में हम अवतल तथा उत्तल दर्पण से परीक्षा में पूछे जाने वाले अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न को जानेंगे।
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