प्रकाश पाठ परीक्षा की दृष्टि तथा जीवन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस चैप्टर के अंतर्गत दर्पण, प्रतिबिंब, प्रकाश का परावर्तन, अपवर्तन, प्रकाश का प्रकीर्णन, प्रकाश वैधुत प्रभाव इत्यादि टॉपिक आते है। इन विषय (Topic) से परीक्षा (Exam) में कई सारे सवाल आते है।
न केवल परीक्षा के लिए बल्कि इन विषय की जानकारी दैनिक जीवन में भी काफी महत्वपूर्ण है। आसमान का रंग नीला दिखाई देना, समुंद्र का रंग नीला दिखाई देना, रेगिस्तान में मरीचिका दिखाई देना, तारो का टिमटिमाना इत्यादि की जानकारी आपको प्रकाश पाठ को अच्छी तरह से पढ़ कर ही प्राप्त होगी।
इस पाठ के विषयो की महत्वपूर्ण जानकारी हमने अपनी Website STUDYVIGYAN.COM पर सरल भाषा में प्रदान की है। जिसे समझना काफी आसान है।
दर्पण किसे कहते है? | What is Mirror
दर्पण वह वस्तु है जिसकी सहायता से की किसी पदार्थ की छवि प्राप्त की जाती है।
दर्पण के प्रकार
मुख्य रूप से दर्पण दो प्रकार के होते है-
- समतल दर्पण
- गोलीय दर्पण
- गोलीय दर्पण को पुनः दो भागो में बाटा गया है जो है – उत्तल दर्पण, अवतल दर्पण
उत्तल दर्पण को दैनिक जीवन में उपयोग करने के लिए खरीदे- Click Here To Buy
अवतल दर्पण को दैनिक जीवन में उपयोग करने के लिए खरीदे- Click Here To Buy
समतल दर्पण | Plain Mirror
वह दर्पण जिसका परावर्तक तल एक सामान होता है, अतः तल न तो कही से दबा होता है और न ही उभरा होता है समतल दर्पण कहलाता है।
इसकी पहचान करने के लिए एक पैमाने का प्रयोग किया जाता है। जिसे दर्पण के ऊपर रखा जाता है। यदि पैमाना दर्पण को हर जगह छूता रहे तो दर्पण वह समतल दर्पण है।
समतल दर्पण से बनने वाला प्रतिबिंब आभासी (virtual), वस्तु के बराबर, सीधा होता है।
समतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या अनंत होती है।
गोलीय दर्पण | Spherical Mirrors
गोलीय दर्पण एक प्रकार के कांच के खोखले गोले का काटा गया भाग होता है। गोलीय दर्पण के एक तल पर पारे की कलाई तथा रेड ऑक्साइड का पेंट होता है। तथा इसका दूसरा तल परावर्तक तल होता है।
गोलीय दर्पण दो प्रकार का होता है। 1.) उत्तल दर्पण 2.) अवतल दर्पण
उत्तल दर्पण अवतल दर्पण के बारे में परीक्षा में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण टॉपिक यह देखे- Click Here
इसमें आपको उत्तल और अवतल दर्पण के उपयोग, परिभाषा, उदाहरण, अन्तर, इनकी पहचान करना आदि बहुत ही बेहतरीन तरीके से समझाया गया है। ये सवाल किसी भी परीक्षा (Exam) ki दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
दर्पणों से सम्बन्धित कुछ परिभाषाए | दर्पण के जरूरी तथ्य
वक्रता केंद्र (Centre of Curvature)
प्राप्त दर्पण जिस गोले (गोलीय दर्पण) का भाग होता है, उस गोले (गोलीय दर्पण) के केंद्र को वक्रता केंद्र कहते है।
अवतल दर्पण में वक्रता केंद्र परावर्तक तल की ओर तथा उत्तल दर्पण में वक्रता केंद्र परावर्तक तल से दूसरी ओर होता है।
चित्र 2 (a) तथा (b) में बिन्दु C दर्पण का बनता केन्द्र है।
ध्रुव (Pole)
दर्पण के परावर्तक तल के मध्य बिंदु को दर्पण का ध्रुव कहते है। चित्र में बिंदु P दर्पण का ध्रुव है।
वक्रता त्रिज्या (Radius of Curvature)
वक्रता केंद्र से लेकर दर्पण के ध्रुव के बीच के दूरी को वक्रता त्रिज्या कहते है। अथवा
उस गोले की त्रिज्या जिस गोले का दर्पण एक भाग होता है, दर्पण की वक्रता त्रिज्या कहलाता है। चित्र में दूरी CP वक्रता त्रिज्या है।
गोलीय दर्पण का मुख्य अक्ष क्या है
दर्पण के ध्रुव से लेकर वक्रता केंद्र को मिलाने वाली रेखा को गोलीय दर्पण का मुख्य अक्ष कहते है।
चित्र में रेखा PC, गोलीय दर्पण का मुख्य अक्ष हैं।
दर्पण का द्वारक (Aperture of Mirror)
दर्पण के परावर्तक तल के व्यास को ‘दर्पण का द्वारक’ कहते हैं। चित्र में बिंदु M1 से बिंदु M2 तक रेखा दर्पण का द्वारक है।
मुख्य फोकस (Principal Focus)
दर्पण की मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली प्रकाश की किरणें दर्पण परावर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के जिस बिन्दु पर या तो वास्तव में मिलती हैं या मिलती हुई प्रतीत होती हैं, उस बिन्दु को दर्पण का ‘मुख्य फोकस’ कहते हैं।
चित्र 3 (a) तथा (b) में बिन्दु F, दर्पण का मुख्य फोकस है। अवतल दर्पण से परावर्तित किरणें फोकस F पर वास्तव में मिलती हैं। तथा जबकि उत्तल दर्पण के चित्र B में किरणें फोकस से आती हुई प्रतीत होती हैं (चित्र b)।
इसी कारण से अवतल दर्पण का फोकस बिंदु वास्तविक होता है। तथा उत्तल दर्पण का फोकस आभासी होता है। अवतल दर्पण में फोकस F, दर्पण के परावर्तक तल के सामने होता है जबकि उत्तल दर्पण में फोकस F, दर्पण के परावर्तक तल के पीछे होता है।
फोकस दूरी (Focus length)
दर्पण से ध्रुव से लेकर मुख्य फोकस तक की दूरी को दर्पण की फोकस दूरी कहते है। चित्र में दूरी PF दर्पण की फोकस दूरी है।
प्रकाश के परावर्तन के नियम समतल दर्पण तथा गोलीय दर्पण दोनो पर लागू होते है।
दर्पण की वक्रता त्रिज्या और फोकस दूरी में संबंध
दर्पण की फोकस दूरी, वक्रता त्रिज्या की आधी होती है। अथवा दर्पण की वक्रता त्रिज्या उसकी फोकस दूरी के दोगुना होती है।
शर्त (Condition)- जब दर्पण का द्वारक वक्रता त्रिज्या से छोटा होता है।
f=R/2 या R=2f
- समतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या अनंत होती है।
- अतः समतल दर्पण की फोकस दूरी भी अनंत होती है।
- दर्पण पर प्रकाश सदैव बाई ओर से परावर्तक तल पर डाला जाता है।
प्रकाश क्या है?
प्रकाश एक प्रकार की विकिरण ऊर्जा है जो किसी वस्तु से टकराकर हमारी आंखों को उसका अनुभव (संवेदित) कराती है, प्रकाश कहलाता है।
- प्रकाश विद्युत चुम्बकीय तरंगों के रूप में चलती है।
- निर्वात में प्रकाश की चाल 3×10⁸ मीटर/सेकंड होती है।
- किसी पदार्थिक माध्यम में चलने पर प्रकाश की चाल में कमी आती है।
- प्रकाश का तरंगदैर्ध्य 3900A° से 7800 A° के बीच होती है।
- जहां A°= एंगस्ट्रॉम होता है।
- 1 A° = 10⁻¹⁰ मीटर होता है।
प्रकाश की चाल का सूत्र क्या है?
प्रकाश की चाल का सूत्र u= c/η अथवा c= η.u होता है। जहां u= जिस माध्यम में प्रकाश की चाल ज्ञात करनी है। η= माध्यम का अपवर्तनांक C= निर्वात में प्रकाश की चाल, जो 3×10⁸ मीटर/सेकेंड होती है।
u= c/η सूत्र के द्वारा किसी भी माध्यम में प्रकाश की चाल ज्ञात की जा सकती है।
प्रकाश का उदाहरण
यदि किसी कमरे में अंधेरा है और हम उसमे बल्ब, मोमबत्ती जलाते है तो हमे कमरे में रखी वस्तुएं दिखाई देने लगती है। इसका कारण ये है कि मोमबत्ती की ज्वाला अथवा बल्ब से उत्सर्जित विकिरण वस्तुओं से टकराकर हमारी आंखों में प्रवेश करती है तो हमे वस्तु हमे दिखाई देने लगती है।
प्रकाश द्वारा वस्तु कैसे दिखाई पड़ती है?
जब प्रकाश की किरणें किसी वस्तु पर गिरती है तो वह वस्तु प्रकाशित हो जाती है। इस प्रकार, किरणे वस्तु पर एक विशेष प्रभाव डालती हैं। वह वस्तु भी अपने ऊपर गिरने वाली कुछ किरणों को हमारी आँख की ओर भेज देती है और कुछ किरणे परावर्तित हो जाती है। अतः हमारी आंखों की ओर आयी इन्ही किरणों की वजह से हमे वस्तु दिखाई देती है।
क्या प्रकाश की किरणें एक दूसरे को प्रभावित करती है?
नही, प्रकाश की किरणें एक दूसरे को प्रभावित नही करती, अर्थात ये परस्पर अनिर्भर होती है।
प्रकाश का परावर्तन | Reflection of Light
प्रकाश के किसी चिकने या पोलिशदार सतह (तल) से टकराकर वापस लौटने की प्रक्रिया को प्रकाश का परावर्तन कहते है।
जब प्रकाश किसी चिकने तल से टकराता है तो उसका अधिकांश भाग टकराकर वापस लौट आता है।
एक किरण AB एक समतल दर्पण MM पर गिरती है। यह किरण दर्पण से परावर्तित होकर उसी माध्यम में एक निश्चित दिशा BC में चली जाती है।
प्रकाश के परावर्तन के नियम | Laws of Reflection
- आपतित किरण, आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तथा परावर्तित किरण तीनों एक ही तल में होते हैं।
- आपतन कोण और परावर्तन कोण सदैव एक दूसरे के बराबर होता है।
प्रकाश किरणों की उत्क्रमणीयता क्या है? | (Reversibility of Light Rays)
चित्र में आपतित किरण AB है तथा परावर्तित किरण BC है। इसके विपरीत, यदि हम माने कि आपतित किरण CB हो तो इसके संगत परावर्तित किरण BA होगी, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपतन कोण तथा परावर्तन कोण बराबर होते हैं। इस प्रकार आपतित तथा परावर्तित किरणें सदैव उत्क्रमणीय (reversible) होती हैं।
आपतित किरण किसे कहते है?
किसी दर्पण पर गिरने वाली किरण को आपतित किरण (Incident Ray) कहते है। चित्र में किरण AB आपतित किरण है।
परावर्तित किरण | Reflected ray
किसी किरण के दर्पण से टकराने के बाद, परावर्तन से बाद प्राप्त किरण को परावर्तित किरण (reflected ray) कहते है।चित्र में किरण BC परावर्तित किरण (reflected ray) है।
आपतन बिंदु (Point of Incidence)
आपतित किरण दर्पण के जिस बिन्दु पर गिरती है उसे आपतन बिन्दु’ (point of incidence) कहते है।
चित्र में बिंदु B आपतन बिंदु है।
अभिलंब (Normal)
आपतन बिन्दु B से दर्पण के लम्बरूप रेखा को ‘अभिलम्ब’ (normal) कहते हैं।
चित्र में रेखा BN को अभिलम्ब’ (normal) कहते हैं।
आपतन कोण (Angle of Incidence)
आपतित किरण तथा अभिलम्ब के बीच बने कोण को ‘आपतन कोण (angle of incidence) कहते है।
चित्र में कोण ABN आपतन कोण है।
परावर्तन कोण ( Angle of Reflection)
परावर्तित किरण व अभिलम्ब के बीच बने कोण को ‘परावर्तन कोण’ (angle of reflection) कहते हैं।
चित्र में कोण CAN परावर्तन कोण है।
प्रतिबिम्ब (Image)
प्रकाश की किरणें वस्तु के किसी बिन्दु से चलकर परावर्तन के पश्चात जिस दूसरे बिन्दु पर जाकर मिलती हैं, अथवा (जिस दूसरे बिन्दु से आती हुई प्रतीत होती हैं), तो इस दूसरे बिन्दु को पहले बिन्दु का प्रतिबिम्ब कहते हैं।
यदि हम सरल भाषा में समझे तो जब हम दर्पण के सामने किसी वस्तु को रखते है तो दर्पण में उस वस्तु की आकृति बनती है। दर्पण में बनी इस आकृति को वस्तु का प्रतिबिंब कहते है।
प्रतिबिंब कितने प्रकार का होता है?
- प्रतिबिम्ब दो प्रकार के होते हैं
- वास्तविक (Real)
- आभासी (virtual)
वास्तविक प्रतिबिंब | Real Image
वस्तु के किसी बिंदु से चलने वाली किरणे परावर्तन के पश्चात् जिस बिंदु पर वास्तव में मिलती है तो इस बिन्दु को बिन्दु वस्तु का वास्तविक प्रतिविम्ब कहते हैं। अतः यहा वस्तु का वास्तविक प्रतिबिंब प्राप्त होता है।
इस प्रतिबिंब को पर्दे पर पर लिया जा सकता है।
आभासी प्रतिबिंब | Virtual Image
यदि बिन्दु-वस्तु से चलने वाली किरण परावर्तन के पश्चात् किसी दूसरे बिंदु से आती हुई प्रतीत होती है तो इस बिन्दु को बिन्दु-वस्तु का आभासी प्रतिबिम्ब कहते हैं। अतः यहा वस्तु का आभासी (काल्पनिक) प्रतिबिंब प्राप्त होता है।
इस प्रतिबिम्ब को पर्दे नहीं लिया जा सकता। इसका फोटो लिया जा सकता है।
इस आर्टिकल में हमने दर्पण, दर्पण के प्रकार, प्रतिबिम्ब, प्रतिबिम्ब के प्रकार, परावर्तन के नियम तथा उनसे जुडी कुछ महत्वपूर्ण परिभाषा को जाना है। इसके अगले आर्टिकल में हम दर्पण के सूत्र का निगमन और वस्तु की स्तिथि, प्रतिबिम्ब की स्तिथि की जानकारी प्राप्त करेंगे।
पानी में प्रकाश की गति कितनी होती है?
पानी में प्रकाश की गति 2.25 × 108 मीटर/सेकंड होती है। क्यूंकि हम जानते है कि प्रकाश की गति का सूत्र u= c/η होता है। अतः ये प्रकाश की गति माध्यम के अपवर्तनांक पर निर्भर करती है। अतः यदि प्रकाश का अपवर्तनांक 4/3 हो तो प्रकाश की गति 2.25 × 108 मीटर/सेकंड होगी
प्रकाशिक पथ क्या है?
प्रकाशिक पथ वह पथ जिसपर प्रकाश चलता है उसे प्रकाशिक पथ कहते है। इसे किरण भी कहा जा सकता है।