साधारण प्रकाश की दो प्रकृति होती है। इसमें से प्रकाश का प्रकीर्णन, प्रकाश की कण प्रकृति का उदाहरण है। प्रकाश का प्रकीर्णन का अर्थ है- प्रकाश का छितराना या बिखेरना होता है। प्रकाश एक ऐसा विकिरण है जो कण और तरंग दोनो की तरह व्यवहार करता है। प्रकाश का व्यतिकरण, विवर्तन, ध्रुवण जैसी घटनाएं का होना प्रकाश के तरंग होने को बताता है। जबकि प्रकाश वैधुत प्रभाव, कॉम्पटन प्रभाव जैसी घटनाएं प्रकाश के कण होने को सिद्ध करता है।
इस प्रकार प्रकाश कभी कण तथा कभी तरंग दोनो तरह के व्यवहार प्रदर्शित करता है प्रकाश की यह प्रकृति प्रकाश की द्वैती प्रकृति (दोहरी प्रकृति) कहलाती है।
प्रकाश का प्रकीर्णन (Scattering of Light) क्या है और परिभाषा
जब प्रकाश ऐसे माध्यम से गुजरता है जिसमें बहुत छोटे आकार के कण (धूल, धुएं, वायु के अणु इत्यादि) होते है तो प्रकाश का कुछ भाग इन छोटे कणों से टकराकर माध्यम में सभी दिशाओं में फैल जाता है, इस घटना को प्रकाश का प्रकीर्णन कहते है। अतः प्रकाश के प्रकीर्णन को इस तरह समझाया जा सकता है।
प्रकाश के प्रकीर्णन की परिभाषा
अतः “प्रकाश के कुछ भाग का सूक्ष्म कणों से टकराकर माध्यम में सभी दिशाओं में फैल जाने की घटना को प्रकाश का प्रकीर्णन कहते है।” यह प्रकाश के प्रकीर्णन की परिभाषा कहलाती है।
प्रयोगों से पता चलता है कि लाल रंग का प्रकीर्णन सबसे कम होता है जबकि बैंगनी रंग का प्रकीर्णन सबसे ज्यादा होता है।

रैले के द्वारा प्रकाश का प्रकीर्णन का वर्णन
इस नियम के अनुसार, जब सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल से गुजरता है, तो इस प्रकाश का ज्यादातर भाग वायुमंडल में घुले कणों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। इसके पश्चात ये अशुद्धि कण प्रकाश को पुनः किसी ओर दिशा में विकिरित कर देते है। यह घटना प्रकाश का प्रकीर्णन कहलाती है।
जब प्रकाश किरण किसी सूक्ष्म कण से टकराता है तो वह दोलन करने लगता है। जिसके बाद कण अवशोषित की गई ऊर्जा का किसी अन्य दिशा में उत्सर्जन करना शुरू कर देता है। पृथ्वी के वायुमंडल में धूल के कणों और अन्य अशुद्धियों की गिनती बहुत ज्यादा है, इस कारण सूर्य का प्रकाश वायुमंडल में सभी दिशाओं में फैल जाता है।
लॉर्ड रैले का प्रकीर्णन नियम (Rayleigh’s Scattering Law)
रैले ने अपने प्रयोगों द्वारा यह नियम सिद्ध किया कि- “प्रकीर्णित प्रकाश की तीव्रता उसकी तरंगदैर्ध्य की चतुर्थ (चौथी) घात (4th power) के व्युत्क्रमानुपाती होती है।”
- शर्त- प्रकीर्णक (scatterer) का आकार प्रकीर्णित होने वाली प्रकाश की तरंगदैर्ध्य की तुलना में कम हो।

यहां I= प्रकीर्णित प्रकाश की तीव्रता
λ= प्रकीर्णक पर आपतित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य है।
रैले के नियम का गणितीय रूप- लॉर्ड रैले के अनुसार प्रकीर्णित प्रकाश की तीव्रता उसकी तरंगदैर्ध्य पर निर्भर करती है। रैले ने बताया कि कम तरंगदैर्ध्य (बैंगनी) के प्रकाश का प्रकीर्णन अधिक तरंगदैर्ध्य (लाल) के प्रकाश से अधिक होता है।
रैले प्रकीर्णन को कलासबद्ध प्रकीर्णन के नाम से भी जाना जाता है।
प्रकाश के प्रकीर्णन के उदाहरण-
आकाश का रंग नीला दिखाई देना या समुन्द्र के जल का रंग नीला दिखाई देना
सूर्य से आने वाला प्रकाश में भिन्न-भिन्न प्रकार के रंगो से मिलकर बना होता है। जब यह प्रकाश वायुमण्डल से होकर गुजरता है तो वायु के सूक्ष्म वाष्प कणों एवं धूल के महीन कणों द्वारा इसका प्रकीर्णन होता है। बैंगनी व नीले रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन लाल रंग के प्रकाश की तुलना में लगभग 16 गुना अधिक होता है। सूर्य के प्रकाश में नीले रंग की मात्रा बैंगनी रंग से अधिक होती है। इसी कारण नीला प्रकाश वायुमंडल (आकाश) में चारों ओर बिखर जाता है। यह बिखरा हुआ प्रकाश जब हमारी आँख में पहुँचता है तो हमें आकाश का रंग तथा समुन्द्र के जल का रंग नीला दिखाई देता है।

- Note- यदि वायुमण्डल न होता (जैसे चन्द्रमा पर वायुमण्डल नहीं है) तो सूर्य के प्रकाश का मार्ग में प्रकीर्णन नहीं होता तथा हमें आकाश काला (black) दिखाई देता। यही कारण है कि चन्द्रमा के तल से देखने पर आकाश काला दिखाई पड़ता है।
- अन्तरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी के वायुमण्डल से बाहर पहुँचने पर आकाश काला ही दिखाई देता है।
सूर्योदय अथवा सूर्यास्त के समय सूर्य लाल दिखना
सुबह का उगता और शाम को डूबते हुए सूर्य की ओर देखने पर वह हमें लाल दिखाई देता है। जबकि दोपहर में सूर्य सफेद दिखाई देता है। इसका कारण भी प्रकाश का प्रकीर्णन ही है। उगते अथवा डूबते सूर्य की किरणें को दोपहर की अपेक्षा वायुमण्डल में काफी अधिक दूरी तय करनी पड़ती है जिसके पश्चात ये किरणे हमारी आंखों में पहुंचती है। क्योंकि सूर्य के उगते अथवा डूबते समय सूर्य की पृथ्वी से दूरी अधिक होती है। परंतु सूर्य के दोपहर के समय इसकी दूरी अपेक्षाकृत कम होती है।
इन किरणों के मार्ग में धूल के कण तथा वायु के अणु द्वारा बहुत अधिक प्रकीर्णन होता है। जैसा कि हम जानते है कि नीले और बैंगनी रंग का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है। इस कारण सुबह सूर्योदय तथा शाम को सूर्यास्त के समय प्रकाश अधिक दूरी होने के कारण बैंगनी, नीले तथा अन्य रंगो का प्रकीर्णन हो जाता है। अतः आँख में विशेष रूप से शेष लाल किरणें ही हमारी आंखों पहुँचती हैं जिसके कारण सूर्योदय अथवा सूर्यास्त के समय सूर्य लाल दिखाई देता है।

दोपहर के समय सूर्य का रंग- दोपहर के समय जब सूर्य सिर के ऊपर होता है तब किरणें वायुमण्डल में अपेक्षाकृत बहुत कम दूरी तय करती हैं। अतः प्रकीर्णन कम होता है और लगभग सभी रंगों की किरणें आँख तक पहुँच जाती हैं। अत: सूर्य सफेद दिखाई देता है।
साँध्य प्रकाश’ (Twilight)- सूर्योदय के पहले तथा सूर्यास्त के पश्चात् भी वायुमण्डल में उपस्थित धूल के कणों द्वारा प्रकीर्णन के कारण सूर्य का प्रकाश कुछ देर तक आकाश में प्रकाश बना रहता है। और केवल लाल रंग की आँखों तक पहुंच पाता है इसी कारण शाम को सूर्य का रंग लाल दिखाई देता है। इस प्रकाश को ”साँध्य प्रकाश” (twilight) कहते हैं।
खतरे का सिगनल का लाल होना
लॉर्ड रैले ने बताया की लाल रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन स्पैक्ट्रम के अन्य 6 रंगों की तुलना में सबसे कम होता है। इसी कारण रात में खतरे का सिगनल देने के लिये ‘लाल’ प्रकाश का प्रयोग किया जाता है। जिसके कारण लाल रंग का सिगनल बहुत दूर से दिखाई दे जाता है। यही कारण है कि रेलगाड़ी को रोकने वाली झंडी, क्रिकेट की गेंद, अस्पताल की गाड़ी पर बना क्रॉस का चिन्ह लाल रंग के होते हैं। यदि हम अपने सामने रखी विभिन्न रंगों की वस्तुओं को देखें तो हमारी दृष्टि सबसे पहले लाल रंग की वस्तु पर जाती हैं।

कोहरे तथा धुंध में इन्फ्रारेड (अवरक्त) फोटोग्राफी का इस्तेमाल होना
अवरक्त विकिरण (Infrared Radiation) की तरंगदैर्ध्य काफी अधिक होती है। जिस विकिरण की तरंगदैर्ध्य जितनी अधिक होता है, उस विकिरण का प्रकीर्णन उतना ही कम होता है। अवरक्त विकिरण (Infrared Radiation) की तरंगदैर्ध्य बहुत अधिक होने के कारण कोहरे या धुन्ध में उपस्थित धूल, वाष्प तथा ओस के कणो से इनका प्रकीर्णन या फैलाव बहुत कम लगभग नगण्य होता है। इसी कारण कोहरे और धुंध में इंफ्रारेड फोटोग्राफी इस्तेमाल होती है।

अतः विशेष फिल्टरो तथा इन्फ्रारेड प्लेट का प्रयोग करके कोहरे तथा धुंध में भी साफ चित्र प्राप्त किया सकते है।
प्रकाश के प्रकीर्णन का प्रैक्टिकल (Practical)
प्रकाश के प्रकीर्णन का प्रैक्टिकल (Practical) आप अपने घर में भी करके देख सकते है। इसके लिए आपको निम्न वस्तुओं की आवश्यकता होती है-
- लेजर लाइट (Laser Light)
- पारदर्शी पानी की बोतल
- दूध
Step 1: पारदर्शी पानी की बोतल को साफ़ पानी से भरे। बोतल को पूरा न भरे इसमें थोड़ा खली छोड़ दे।
Step 2: पानी की बोतल में 10-12 बूंद दूध डालकर बोतल को अच्छे से हिला ले।
Step 3: अँधेरे कमरे में लेज़र लाइट को बोतल के एक ओर से चालू करें और लाइट का मुख को बोतल की ओर करें। लेजर लाइट को बोतल की ओर करने से लेजर पानी में दूध के कणों से टकराकर विभिन्न दिशाओं में फैल जाती है।
Step 4: दूध के कणों से टकराने से प्रकाश के अलग-अलग रंग में बिखर जाता है और कणों का प्रकीर्णन होता है। इससे सिद्ध होता है कि इस प्रयोग में प्रकाश का प्रकीर्णन हो रहा है।
प्रकाश के रंग तथा उनकी तरंगदैर्ध्य
क्रम संख्या | रंग (Colour) | तरंगदैर्ध्य एंगस्ट्रॉम (Å) में |
---|---|---|
1. | लाल (Red) R | 7800 Å से 6400 Å तक |
2. | नारंगी (Orange) O | 6400 Å से 6000 Å तक |
3. | पीला (Yellow) Y | 6000 Å से 5700 Å तक |
4. | हरा (Green) G | 5700 Å से 5000 Å तक |
5. | नीला (Blue) B | 5000 Å से 4600 Å तक |
6. | जामुनी (Indigo) I | 4600 Å से 4300 Å तक |
7. | बैगनी (Violet) V | 4300 Å से 4000 Å तक |
अतः इस आर्टिकल में आपको प्रकाश का प्रकीर्णन, प्रकाश के प्रकीर्णन के उदाहरण, घटनाएं, रैले का प्रकाश का प्रकीर्णन नियम, विभिन्न रंगो की तरंगदैर्ध्य, प्रकाश के प्रकीर्णन का प्रैक्टिकल दैनिक जीवन में बताया गया है। जिससे आप इस टॉपिक को बेहतरीन ढंग से समझ सकते है।
सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य का लाल दिखाई देना, आकाश, समुंद्र का नीला दिखाई देना, जैसे मजेदार टॉपिक समझाए गए है। इसके अलावा Study Vigyan में उत्तल और अवतल दर्पण के उपयोग, अंतर, परिभाषा को खूबसूरत तरीके से प्रैक्टिकल के साथ समझाया गया है।
- Top Engineering Drawing Viva Questions and Answers in Hindi | 10 Engineering Drawing Interview QuestionsShare with friendsEngineering Drawing Viva Questions and Answers प्रैक्टिकल परीक्षा और नौकरी के इंटरव्यू में पूछे जाते है। इंजीनियरिंग ड्राइंग तकनीकी शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो… Read more: Top Engineering Drawing Viva Questions and Answers in Hindi | 10 Engineering Drawing Interview Questions
- 7 Important Power, Indices and Surds Questions and Answers with tricksShare with friendsPower, Indices and Surds Questions and Answers से competitive exam में कई सारे जरुरी सवाल पूछे जाते है। इन सवालों को हल करने के लिए कुछ… Read more: 7 Important Power, Indices and Surds Questions and Answers with tricks
- Power, Indices and Surds Formula, Questions, Rules, Meaning in Hindi | 14 Important FormulasShare with friendsगणित के Power, Indices and Surds पाठ से प्रतियोगी परीक्षाओं में कई सारे सवाल पूछे जाते है। इसलिए Power, Indices and Surds Formula, Questions, Rules, Meaning… Read more: Power, Indices and Surds Formula, Questions, Rules, Meaning in Hindi | 14 Important Formulas
- पैटर्न (Pattern) किसे कहते है?, पैटर्न की परिभाषा, कार्य, अच्छे पैटर्न के 11 विशेषता, पैटर्न और कास्टिंग में अंतरShare with friendsकास्टिंग में पैटर्न (Pattern) वस्तु के आकार, आकृति का प्रतिरूप होता है। इसकी सहायता से मोल्ड (Mould) बनाकर वस्तु की ढलाई की जाती है। पैटर्न कास्ट… Read more: पैटर्न (Pattern) किसे कहते है?, पैटर्न की परिभाषा, कार्य, अच्छे पैटर्न के 11 विशेषता, पैटर्न और कास्टिंग में अंतर
- कास्टिंग किसे कहते हैं? कास्टिंग की परिभाषा, लाभ, उपयोग, कास्टिंग करने के स्टेप्स (चरण) चित्र सहित जानें | What is Casting? Its Definition, Advantages, Uses, Step by Step Casting Process with PicturesShare with friendsकास्टिंग (Casting) एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसके द्वारा वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। कास्टिंग प्रक्रिया को अच्छी तरह समझना इंजीनियरिंग में बहुत जरूरी है। इस… Read more: कास्टिंग किसे कहते हैं? कास्टिंग की परिभाषा, लाभ, उपयोग, कास्टिंग करने के स्टेप्स (चरण) चित्र सहित जानें | What is Casting? Its Definition, Advantages, Uses, Step by Step Casting Process with Pictures