अम्लीय वर्षा, वायु प्रदूषण का एक मुख्य प्रभाव है। वायु के प्रदूषित होने के कारण ही वर्षा के जल में अत्यंत हानिकारक अम्ल मिल जाते है, जो पृथ्वी पर अम्लीय वर्षा के रूप में बरसते है।
अतः इस आर्टिकल में हम अम्लीय वर्षा की परिभाषा, कारण, प्रभाव, pH मान, उपाय, स्थान, सूत्र, मुख्य कारक समझेंगे। ग्रेट ब्रिटेन और जर्मनी में स्थित कारखानों से उत्सर्जित सल्फर डाई ऑक्साइड तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड की वजह से दूर स्थित नार्वे तथा स्वीडन में अम्लीय वर्षा होती है। और इस वर्षा के कारण जलीय जीव समाप्त हो गए है।
स्वीडन की 90,000 झीलों में से 10,000 झीलों में वर्तमान में कोई मछली जीवित नहीं है। कनाडा के एक प्रांत की 2,50,000 झीलों में से 50,000 झीले अम्लीय वर्षा से अत्यधिक प्रभावित हुई है।
अम्लीय वर्षा की परिभाषा
“मानवीय प्रभावों से होने वाली वह वर्षा जिसमे प्रबल अम्ल H₂SO₄ तथा HNO₃ उपस्थित होते है और जिस वर्षा का pH मान 3 से कम होता है, अम्लीय वर्षा कहलाती है।”
अम्लीय वर्षा की खोज रॉबर्ट एंगस स्मिथ ने की थी। साधारण तौर पर होने वाली वाली वर्षा का pH मान 5.7 होता है। आमतौर पर होने वाली वर्षा में भी अम्ल उपस्थित होते है। परंतु ये अम्ल दुर्बल अम्ल होते है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होते है। साधारण वर्षा में प्राथमिक अम्ल, कार्बोनिक अम्ल (H₂CO₃) उपस्थित होते है। यह कार्बोनिक अम्ल (H₂CO₃) वायुमंडल में उपस्थित कार्बन डाई ऑक्साइड (CO₂) के जल (H₂O) से क्रिया करने से बनता है।
अम्लीय वर्षा औद्योगिक क्षेत्र तथा अधिक प्रदूषण जैसे स्थानों में होती है।
अम्लीय वर्षा के बनने की प्रक्रिया
अम्लीय वर्षा, वर्षा के जल में अम्लीय ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड (SO₂), सल्फर ट्राई ऑक्साइड (SO₃), नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड (NO₂) के घुलने से होती है। अम्लीय वर्षा के जल में मुख्य प्रदूषक प्रबल अम्ल सल्फ्यूरिक अम्ल (H₂SO₄) और नाइट्रिक अम्ल (HNO₃) उपस्थित होते हैं। ये अम्ल मानवीय कारणों से उत्पन्न होते है।
वैसे तो वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन और ऑक्सीजन भी क्रिया करके नाइट्रिक ऑक्साइड बना सकते है किंतु यह एक उष्मशोषी (Endothermic) अभिक्रिया है जो केवल उच्च ताप पर ही संभव है।
सड़क पर चलने वाले वाहनों के इंजन में नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन क्रिया करके नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) बनाती है।
N₂ + O₂ = 2NO (Nitric Oxide)
N₂= Nitrogen
O₂= Oxigen
इस प्रक्रिया से प्राप्त नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) वायु द्वारा ऑक्सीकृत होकर नाइट्रोजन डाइ ऑक्साइड (NO₂) बनाती है।
2NO + O₂ → 2NO₂ (Nitrogen Di Oxide)
2NO= Nitric oxide
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) जल से अभिक्रिया करके नाइट्रिक अम्ल (HNO₃) और नाइट्रिक ऑक्साइड बनाती है।
3NO₂ + H₂O → 2HNO₃ + NO
NO₂= Nitrogen Di Oxide
HNO₃= Nitric Acid
NO= Nitric Oxide
जीवाश्म ईंधनों के जलाने से सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) एक उपजात के रूप में बनती है। सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) सीधे जल से अभिक्रिया करके सल्फ्यूरस अम्ल बनाती है।
SO₂ + H₂O → H₂SO₃ (Sulfuras Acid)
कणिकीय द्रव्य तथा ऐरोसॉल की उपस्तिथि में सल्फर डाई ऑक्साइड वायुमण्डलीय ऑक्सीजन से क्रिया करके सल्फर ट्राई ऑक्साइड बना सकती है जो जल के साथ सल्फ्यूरिक अम्ल बनाती है।
2SO₂ + O₂ → 2SO₃
(Sulpher Di Oxide) (Oxigen) (Sulpher Tri Oxide)
SO₃ + H₂O → H₂SO₄
(Sulpher Tri Oxide) (Water) (Sulfuric Acid)
अम्लीय वर्षा के नुकसान (प्रभाव)
फसलों की क्षति- अम्लीय वर्षा में प्रबल अम्ल सल्फ्यूरिक अम्ल तथा नाइट्रिक अम्ल उपस्थित होते है। जब यह अम्ल वर्षा के रूप में पौधो के पत्तियों तथा फलों पर पड़ते है तो यह उन्हें क्षतिग्रस्त करते है। अम्लीय वर्षा से फसलों का उत्पादन दर तथा फसल स्वास्थ्य भी खराब होता है।
समुंद्री जानवरों को नुकसान- अम्लीय वर्षा जब नदी, तालाबों में पड़ती है तो उसके pH मान को कम कर देती है। जिससे नदी का जल अम्लीय हो जाता है तथा उसमे रहने वाली मछलियों, अन्य जलीय जीवों के स्वास्थ्य को नुकसान होता है। इसके साथ ही वह जीव जो ऐसी मछली को खाते है जिन्हे अम्लीय वर्षा ने प्रभावित किया है, उनके स्वास्थ्य पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है।
भवनों एवं इमारतों को नुकसान- अम्लीय वर्षा भवनों एवं इमारतों के रंग को उड़ा देती है। इसके साथ ही अम्लीय वर्षा से धातु, कंक्रीट तथा मूर्तियों के टूटने को बढ़ा देती है। अम्लीय वर्षा लोहे में जंग लगने की प्रक्रिया को भी बढ़ा देती है।
दैनिक जीवन पर प्रभाव- अम्लीय वर्षा से यातायात को बुरा प्रभाव पड़ता है। लोगो को सफर करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
त्वचा स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव- अम्लीय वर्षा के त्वचा के संपर्क में आने पर त्वचा में जलन, खुजली जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
मृदा की उत्पादकता में नुकसान- अम्लीय वर्षा से मृदा की उत्पादकता में कमी आती है क्योंकि अम्लता के कारण मृदा में स्थित खनिज व जीवांश नष्ट हो जाते है।
ताजमहल की दीवारों का ह्रास- अम्लीय वर्षा से भवनों में संक्षारण के कारण क्षति होती है। मथुरा के तेल शोधक कारखाने से उत्सर्जित सल्फर डाई ऑक्साइड के कारण ताजमहल की संगमरमर की बनी दीवारों का रंग पीला हो सकता है।
अम्लीय वर्षा के कारण
कारखाने व फैक्टरी के धुएं द्वारा- ताप बिजली घरों व कारखाने की चिमनियों से निकलने वाले धुएं से अधिक मात्रा में वायु प्रदूषण होता है। घरों से बिना जला हुआ कार्बन, हाइड्रोकार्बन, CO2 तथा CO इत्यादि होते है। ये वायु में मिलकर वायु को प्रदूषित करते है। जो आगे चलकर अम्लीय वर्षा का कारण बनती है।
वाहनों तथा मशीनों के द्वारा- सड़क पर चलने वाले वाहनों जैसे मोटरसाइकिल, कार, ट्रक, तथा अनेक प्रकार की मशीनों में पेट्रोल और डीजल का प्रयोग ईंधन के रूप में होता है। इन इंधनों के जलने से CO2, CO, SO2, सीसा तथा नाइट्रस ऑक्साइड जैसी विषैली गैसे उत्पन्न होती है जो अम्लीय को उत्पन्न करती है।
विलायको के प्रयोग से- फर्नीचर, पोलिश, स्प्रे तथा पेंट आदि के निर्माण व प्रयोग में अनेक प्रकार के विलायको का प्रयोग किया जाता है। ये पदार्थ वायु में मिलकर वायु को प्रदूषित करते है जो अम्लीय वर्षा का कारण बनता है।
अम्लीय वर्षा का पीएच (pH) मान
अम्लीय वर्षा का pH मान 3 से कम होता है। वे पदार्थ जिनका pH मान 7 से कम होता है अम्ल कहलाते है तथा जिनका pH मान 7 से अधिक होता है क्षार कहलाते है।
अम्लीय वर्षा का सूत्र
अम्लीय वर्षा में मुख्य रूप से सल्फ्यूरिक अम्ल तथा नाइट्रिक अम्ल होते है। जिनका रासायनिक सूत्र H₂SO₄, HNO₃ होता है।
अम्लीय वर्षा रोकने का उपाय (समाधान)
- अम्लीय वर्षा को रोकने के लिए सल्फर की कम मात्रा वाले ईंधन का प्रयोग किया जाना चाहिए जिससे वायु प्रदूषण भी कम होता है।
- वाहनों से निकलने वाले धुएं पर नियंत्रण किया जाना चाहिए।
- वाष्प गैस इंजनों जैसे कुछ नए प्रकार के इंजनों को विकसित करके प्रदूषण कम किया जा सकता है जिससे आगे चलकर अम्लीय वर्षा की संभावना में कमी आती है।
भारत में अम्लीय वर्षा कहा होती है?
भारत में नागपुर, मोहनबाड़ी, इलाहबाद, विशाखापत्तनम जैसे स्थानों में अम्लीय वर्षा देखने को मिलती है।
वर्षा के जल का पीएच मान कितना होता है?
वर्षा के जल का पीएच मान pH मान 5.7 होता है।
अम्लीय वर्षा की खोज किसने की थी?
अम्लीय वर्षा की खोज रॉबर्ट एंगस स्मिथ ने की थी।