जब कांच की पतली नली को किसी द्रव में डाला जाता है, तो नली में द्रव का तल कुछ ऊपर या नीचे हो जाता है, इस घटना को केशिकत्व (Capillarity) कहते है। केशिकत्व (capillarity) भौतिक विज्ञान की एक महत्वपूर्ण घटना है। केशिकत्व की परिभाषा, सूत्र, कारण, उदाहरण से कक्षा 10th, 12th, प्रतियोगी परीक्षा तथा इंजीनियरिंग में कई सवाल पूछे जाते है। इसी कारण हमने सभी जानकारियों को सरल शब्दों में उदाहरण सहित समझाया गया है।
केशिकत्व किसे कहते है? और केशिकत्व की परिभाषा (Capillarity Definition in hindi)
कम व्यास की नली को जब किसी द्रव में डुबाया जाता है तो नली में द्रव का तल नीचे गिर जाने या ऊपर उठ जाने की घटना को केशिकात्व कहलाती है। यही केशिकत्व की परिभाषा है।

केशिकत्व का कारण या जल में केशिका नली डालने पर पानी के उठने का कारण (सिद्धांत)
चित्र 1 के अनुसार, कांच की बहुत कम व्यास वाली या पतली नली को पानी में सीधा रखा जाता है। हम देखते हैं की नली में पानी का तल बर्तन में पानी के तल से ऊंचा हो जाता है। और नली में पानी के तल का आकार अवतल (concave) है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पानी में आसंजन बल (पानी तथा नली के शीशे के बीच आकर्षण बल), संसंजन बल (पानी के अणुओं के बीच में आकर्षण बल) से अधिक होता है।
- आसंजन बल > संसंजन बल
इसीलिए पानी शीशे को गीला कर देता है और नली के अंदर पानी का तल बर्तन में पानी के तल से ऊंचा हो जाता है। और ऊपर चढ़ने से इसका तल अवतल (concave) हो जाता है।
अतः यह कहा जा सकता है कि किसी केशिकत्व की घटना आसंजन बल व संसंजन बल के कारण होती है।
केशिकत्व के लिए सूत्र या नली में द्रव के तल के उठने व गिरने की ऊंचाई मापने का सूत्र
हम जानते है कि जल में केशनली को डालने पर केशनली में जल उठता है जबकि पारे में केशनली डालने पर केशनली में पारे का तल गिर जाता है।
यदि हमे नली में उठे द्रव की ऊंचाई ज्ञात करनी हो तो हम निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात कर सकते है –
यहाँ,
- h= नली में उठे जल की ऊंचाई
- r= नली की त्रिज्या
- T= पृष्ट तनाव
- P= द्रव का घनत्व
- θ= जल कांच का स्पर्श कोण
- g= गुरुत्वाकर्षण बल
नली में उठे द्रव की ऊंचाई $$h=\frac{2\;T\cos\theta}{r\;\rho\;g}$$
द्रव का पृष्ट तनाव $$T=\frac{h\;r\;\rho\;g}{2\;\cos\theta}$$
यदि केशिकत्व के सूत्र का निगमन यानि Proving समझना हो तो Click Here

पारे में केशिका नली डालने पर पारे के तल का गिरना
चित्र 2 के अनुसार, जब कांच की बहुत कम व्यास की पतली नली को पारे में सीधी रखी जाती है तो नली में पारे का तल बर्तन में पारे से कुछ नीचा हो जाता है। पारे की नली में तल का आकार उत्तल (convex) होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पारे में संसंजन बल (पारे के अणुओं के बीच में आकर्षण बल), आसंजन बल (पारे और नली के शीशे में आकर्षण बल) से अधिक होता है। इसलिए पारा नली की सतह को गीला नही करता है और नली के अंदर पारे का तल बर्तन में पारे के तल से नीचा हो जाता है और यह तल उत्तल (convex) होता है।
इसीलिए पारा शीशे को गीला नही करता है और नली के अंदर पारे का तल बर्तन में पारे के तल से नीचे हो जाता है। और नीचे गिरने से इसका तल उत्तल (convex) हो जाता है।
केशिकत्व का उदाहरण (Capillarity Examples in Real Life)
- जब खेतों में जल दिया जाता है तो वह जल पौधों व पेड़ो के तनो में बनी केशिकाओं में से चढ़कर पौधों व पेड़ो की टहनियों में पहुँचता है। केशिकत्व के कारण होता है।
- लालटेन में मिट्टी का तेल धागों में बनी केशनलियों के द्वारा ही ऊपर चढ़ता है।
- मोमबत्ती में पिघला हुआ मोम मोमबत्ती के धागों के बीच में बनी केशनलियों के द्वारा ही ऊपर चढ़ता है।
- यदि जल से भरी बाल्टी में तौलिये का एक सिरा डाल दे तो कुछ समय बाद पूरा तौलिया ही जल से भीग जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि तौलिए के धागों के बीच में बनी असंख्य केशिकाओ द्वारा जल ऊपर चढ़ता है और धीरे-धीरे पूरा तौलिया ही जल से भीग जाता है।
- कॉफी पाउडर जल में बहुत जल्दी घुल जाता है क्योंकि जल के कण काफी की महीन कणिकाओं को केशिकात्व की क्रिया से बहुत जल्दी भिगो देते है।
- स्याही सोखते भी केशिकात्व के सिद्धांत पर कार्य करता है। जब स्याही सोखते को स्याही पर रखते है तो स्याही इसके महीन छेदों में चढ़ जाती है। इसी कारण हम स्याही सोखते पर लिख नही सकते है।
- स्याही वाले पेन की निब की नोक बीच से चिरी होती है जिससे इसके बीच में एक पतली केशनली बन जाती है और जब पेन को स्याही में डुबोते है तो कुछ स्याही निब में चढ़ जाती है और हम लिख पाते है। लेकिन रिफिल वाले जेल व डाट पेन में लिखाई गुरुत्व के कारण संभव होती है।
- किसान वर्षा होने के बाद खेत को जोत देते है जिससे मिट्टी में बनी केशनालियां टूट जाती है और जमीन में नीचे नमी बनी रहती है। यह नमी पेड़ उगाने पर उनके काम आता है। यदि किसान खेत नही जोतेंगे तो नीचे गया जल केशनली के सहारे ऊपर आ जायेगा और धूप से वाष्प बन कर उड़ जायेगा।
केशिकत्व का प्रैक्टिकल (Capillarity Experiments)
केशिकात्व भौतिक विज्ञान की ऐसी घटना है जिसका प्रयोग आप अपने घर पर देख सकते है इसके लिए आपको एक दोनों ओर से खुली हुई Pen की Refill ले और एक बीकर या बर्तन में जल भर दे जब आप इसके ये refill डालेंगे तो इसमें जल का तल कुछ ऊपर उठ जाता है।
Credit: Gear Institute Mechanical Engineering videos
संसंजन बल (Cohesive Force)
वह गुण जिसके कारण किसी तरल के अणु एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं संसंजन बल कहलाता है।
संसंजन बल (Cohesive Force) के उदाहरण-
- पानी की एक बूंद अपना गोल आकार संसंजन बल के कारण ही बनाए रखती है।
- संसंजन बल के कारण ही द्रव में श्यानता का गुण आता है।
- संसंजन बल ही द्रव को तनाव प्रतिबल का प्रतिरोध करने के योग्य बनाता है
- पारा, पेंट तथा सरेस में संसंजन का गुण अधिक होता है।
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आसंजन बल (Adhesive Force)
वह गुण जिसके कारण अलग-अलग प्रकार के द्रव्यों के अणु एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं आसंजन बल (Adhesive Force) कहलाता है।
आसंजन बल के उदाहरण: पानी कांच की सतह को गीला कर देता है क्योंकि पानी में आसंजन बल अधिक होता है। जबकि पारा कांच की सतह को गीला नही करता है क्योंकि उसमे संसंजन बल अधिक होता है।
परीक्षा में पूछे जाने वाले पानी के भौतिक गुण
- शुद्ध पानी रंगहीन, गंधहीन तथा पारदर्शी होता है।
- 4°c पर पानी का घनत्व सबसे अधिक होता है, अर्थात 4°c पर पानी अधिकतम भारी होता है।
- पानी में श्यानता, आसंजन, संसंजन, पृष्ठ तनाव तथा केशिकत्व के गुण होते है।
- पानी को बहुत कम दबाया जा सकता है अतः प्रयोग की दृष्टि से इसे incompressible ही माना जाता है।
- 20°c पर पानी की श्यानता 0.01008 poise होती है।
- 20° पर पानी का तल तनाव 0.075 N/m होता है।
- शुद्ध पानी का भार 9810 N/m³ होता है। तथा समुंद्री पानी का भार 1030 N/m³ होता है। अतः समुंद्री पानी साधारण पानी से 1.03 गुना होता है।
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