समांतर श्रेणी (Arithmetic Progression) एक ऐसी श्रेणी होती है जिसमें सभी संख्याएं एक निश्चित क्रम से जोड़ या घटाने के क्रम में व्यवस्थित होती है। समांतर श्रेणी के सवाल कक्षा 7 से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते है। समान्तर श्रेणी (Arithmetic Progression) गणित व रीजनिंग का एक महत्वपूर्ण पाठ है। रेलवे, एसएससी, बैंकिंग आदि प्रतियोगी परीक्षा में अधिक मात्रा में इसके सवाल आते है जिन्हे सही तरीके से हल करके सरकारी नौकरी प्राप्त करने का मौका मिलता है। इस आर्टिकल में समांतर श्रेणी किसे कहते है, समांतर श्रेणी की परिभाषा, समांतर श्रेणी के सूत्र, योग, समांतर श्रेणी के सवाल व समान्तर माध्य को सरल तरीके से समझाया गया है।

समांतर श्रेणी किसे कहते हैं (What is Arithmetic Progression)
वह श्रेणी जिसका अगला पद एक निश्चित संख्या के जोड़ने या घटाने से प्राप्त होते है, उसे समांतर श्रेणी कहते है। इस निश्चित संख्या को सार्वअन्तर (Common Difference) कहते है।
अथवा
वह श्रेणी जिसके दो क्रमागत पदों के बीच समान अंतर होता है, उसे समांतर श्रेणी (Arthmetic Progression) कहते है। यही समांतर श्रेणी की परिभाषा भी कहलाती है।
समांतर श्रेणी के पहले पद को a से प्रदर्शित करते है। इस श्रेणी के दो क्रमागत पदों का अंतर सार्वअन्तर d कहलाता है। सार्वअन्तर (common difference) को d से प्रदर्शित करते है। समांतर श्रेणी in english में Arithmetic Progression कहते है।
समांतर श्रेणी के उदाहरण (Arithmetic Progression Examples)
- 4, 7, 10, 13, 16, 19, ……..
ऊपर दी गई समांतर श्रेणी में पहला पद (a) 4 है। दो क्रमागत पदों के बीच अंतर (d)= 10-7= 3 है। अतः सार्वअंतर (common difference) d=3 है। इस प्रकार-
पहला पद a = 4
दूसरा पद a2= 7
तीसरा पद a3 =10 इसी प्रकार अन्य पद होते है।
सार्वअन्तर (d) = 3
- 19, 15, 11, 7, 3, 0, -3, …….
ऊपर दी गई समांतर श्रेणी में पहला पद (a) 19 है। दो क्रमागत पदों के बीच अंतर (d)= 15-19= -4 है। अतः सार्वअंतर (common difference) d= -4 है। इस प्रकार-
पहला पद a = 19
दूसरा पद a2= 15
तीसरा पद a3 =11 इसी प्रकार अन्य होंगे।
सार्वअन्तर (d) = -4
- 3/4, -1/2, -7/4, -3, …….
ऊपर दी गई समांतर श्रेणी में a = 3/4 है। दो क्रमागत पदों के बीच सार्वअंतर (common difference) d = -1/2 – 3/4 = -5/4 है। इस प्रकार-
पहला पद a = 3/4
दूसरा पद a2= -1/2
तीसरा पद a3 = -7/4 इसी प्रकार अन्य पद निकाल सकते है।
सार्वअन्तर (d) = -5/4
समांतर श्रेणी के चिन्ह (Arithmetic Progression Symbols)
समांतर श्रेणी के सूत्र में विभिन्न पदों को निम्न चिन्हों से प्रदर्शित करते है-
- समांतर श्रेणी का पहला पद को = a
- समांतर श्रेणी का सार्वअंतर = d
- समांतर श्रेणी का अन्तिम पद = l
- समांतर श्रेणी में पदों की संख्या = n
- समांतर श्रेणी में n वें पद = Tn
- समांतर श्रेणी में n पदों का योग= Sn
यदि कोई समांतर श्रेणी निम्न प्रकार है तो-
a1, a2, a3, a4, a5,………
a1 या a = पहला पद,
a2= दूसरा पद,
a3 = तीसरा पद,
इसी प्रकार अन्य….
समांतर श्रेणी का सार्व अन्तर d =
d = a2 – a1 = a3 – a2 = a4 – a3 = a5 – a4 आदि
समांतर श्रेणी को शॉर्ट में A.P. कहते है जिसका पूर्ण रूप Arithmetic Progression होता है।
समांतर श्रेणी के सूत्र (Arithmetic Progression Formulas)
माना, समांतर श्रेणी का प्रथम पद a, अंतिम पद l, सार्वअन्तर d हो तो समांतर श्रेणी के सूत्र निम्न प्रकार है-
समांतर श्रेणी का सूत्र 1 (Arithmetic Progression Formula 1)
समांतर श्रेणी का n वाँ पद (Tn) =
Tn = a + (n-1) d
समांतर श्रेणी का सूत्र 2 (Arithmetic Progression Formula 2)
समांतर श्रेणी का अंत से n वाँ पद (Tnl) =
Tnl = l – (n-1) d
समांतर श्रेणी का योग का सूत्र 3 | समांतर श्रेणी का योगफल का सूत्र (Sum of Arithmetic Progression)
समांतर श्रेणी के n पदों का योगफल (Sn) =
Sn = n/2 (a+l)
अथवा
Sn = n/2 [2 a + (n-1) d]
यह दोनों सूत्र ही समांतर श्रेणी के योग का सूत्र है जिन्हे आवश्यकता के अनुसार इस्तेमाल किया जाता है।

यह सभी सूत्र class 10 समांतर श्रेणी के सूत्र के रूप में इस्तेमाल किये जा सकते है। और इन्हे समांतर श्रेणी के योग का फार्मूला भी कहते है।
श्रेणी (Progression)
एक निश्चित क्रम में व्यवस्थित संख्याओं के समूह को श्रेणी (Progression) कहते है। श्रेणी में स्थित प्रत्येक संख्या को श्रेणी का पद कहते है।
उदाहरण: 2, 6, 10, 14, 18……..38 एक श्रेणी है। इसमें 4 जोड़ का क्रम देखने को मिलता है।
समांतर श्रेणी ज्ञात करना (Find Arithmetic Progression)
समांतर श्रेणी के किसी पद में सार्वअन्तर (d) जोड़ने पर अगला पद ज्ञात किया जा सकता है। इस प्रकार समांतर श्रेणी के किसी भी पद तथा सार्वअन्तर ज्ञात होने पर हम पूरी श्रेणी ज्ञात कर सकते है। समांतर श्रेणी क्लास 10th में लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इससे बोर्ड की परीक्षा में कई सवाल पूछे जाते है।
समांतर श्रेणी की विशेषताएं (Arithmetic Progression Properties)
- यदि समांतर श्रेणी के प्रत्येक पद में एक अचर अंक जोड़ा या घटाया जाए, तो प्राप्त अनुक्रम भी समांतर श्रेणी होता है। इसके साथ ही श्रेणी का सार्वअंतर पहले जितना ही रहता है।
- यदि समांतर श्रेणी के प्रत्येक पद में एक अचर अंक से गुणा किया जाए या एक अशून्य अचर अंक से भाग दिया जाए तो प्राप्त अनुक्रम भी समांतर श्रेणी होता है। श्रेणी का सार्वअंतर पहले जितना ही रहता है।
- यदि समांतर श्रेणी में तीन क्रमागत संख्याएं माननी हो जिनका योग दिया गया हो तो वह संख्याएं a+d, a, a-d मानना चाहिए।
- समांतर श्रेणी के लिए चार क्रमागत संख्याएं a-3d, a-d, a+d, a+3d माननी चाहिए।
- समांतर श्रेणी के लिए पांच क्रमागत संख्याएं a-2d, a-d, a+d, a+2d माननी चाहिए।
- दिए गए योग के लिए छः क्रमागत संख्याएं a-5d, a-3d, a-d, a+d, a+3d, a+5d लेनी चाहिए।
इस प्रकार विषम पदों के लिए मध्य पद को a तथा सार्वअंतर d लेते है। जबकि सम पदों के लिए मध्य पद (a-d), (a+d) तथा सार्वअंतर 2d लिया जाता है।
समांतर श्रेणी के सवाल (Arithmetic Progression Question Answers)
Question 1. समान्तर श्रेणी 3, 5, 7, 9, …… का 10 वाँ पद क्या होगा?
Answer. पहला पद (a)= 3
सार्वअंतर (d) = 5-3 = 2
समांतर श्रेणी का n वाँ पद (Tn) = Tn = a + (n-1) d
समांतर श्रेणी का 10 वाँ पद (T10) = 3 + (10-1) 2
(T10) = 3 + 18
(T10) = 21
समान्तर श्रेणी का 10 वाँ पद 21 होगा।
Question 2. समान्तर श्रेणी 4, 7, 10, 13, ……. का कौन सा पद 145 होगा? अथवा 145 पद 4, 7, 10, 13, ……. समांतर श्रेणी का कौन सा पद है?
Answer. पहला पद (a)= 4
सार्वअंतर (d) = 7-4 =3
माना, श्रेणी का n वाँ पद 145 होगा।
145 = a + (n-1) d
145 = 4 + (n-1) 3
145 = 4 + 3n -3
144 = 3n
n = 138/3
n= 48
इस प्रकार, श्रेणी 4, 7, 10, 13, ……. का 48 वाँ पद 145 होगा।
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Question 3. समान्तर श्रेणी 2, 4, 6, 8, ………… 2000 में कुल कितने पद होंगे?
Answer. पहला पद (a)= 2
सार्वअंतर (d) = 4 – 2 = 2
माना, श्रेणी में कुल n पद है तो n वाँ पद 2000 होगा।
Tn = a + (n-1) d
2000 = 2 + (n-1) 2
2000 = 2 + 2n – 2
n = 1000 वाँ पद
इससे पता चलता है कि श्रेणी का 1000 वाँ पद 2000 है तो श्रेणी में कुल 1000 पद उपस्थित है।
Question 4. समांतर श्रेणी 5, 7, 9, 11, 13, 15, …….. के प्रथम 50 पदों का योगफल ज्ञात कीजिए।
Answer. पहला पद (a)= 5
सार्वअंतर (d) = 7 – 5 = 2
n = 50 पद
समांतर श्रेणी में n पदों का योगफल (Sn) = n/2 [2 a + (n-1) d]
Sn = 50/2 [2×5 + (50-1) 2]
Sn = 25 [10 + 49 × 2]
Sn = 25 [10 + 98]
Sn = 25 × 108
Sn = 2700
अतः समांतर श्रेणी 5, 7, 9, 11, 13, 15, …….. के प्रथम 50 पदों का योगफल Sn = 2700 सही उत्तर है।
टॉपिक समान्तर श्रेणी का सवाल हो तो हमें कमेन्ट बॉक्स में लिखकर बताए। इसके साथ आपको आर्टिकल में दी गयी जानकारी कैसी लगी हमें जरूर कमेंट करे।
समांतर माध्य (Arithmetic Mean)
यदि दो संख्याओं a व b के बीच ऐसे संख्या z ली जाए जिससे तीनों संख्याएं समांतर श्रेणी में व्यवस्थित हो जाए तो संख्या z को संख्या a व b का समांतर माध्य (Arithmetic Mean) कहते है। इसे A.M. से प्रदर्शित करते हैं।
अथवा
यदि तीन संख्या a, z, b समांतर श्रेणी में हो, तो z को संख्या a व b का समांतर माध्य कहते है।
समांतर माध्य का सूत्र (Arithmetic Mean Formula)
समांतर माध्य z = (a+b) / 2
सूत्र में a व b संख्याएं है तथा z समांतर माध्य है।
समांतर माध्य का सूत्र का निगमन (Arithmetic Mean Formula Proving)
a, x, b समांतर श्रेणी में है अतः इनका सार्व अंतर समान होगा। सार्व अंतर d =
z – a = b – z
2 z = a + b
z = (a+b) / 2
यही समांतर माध्य का सूत्र है। इससे समांतर माध्य का सूत्र का निगमन होता है।
समांतर माध्य का उदाहरण (Arithmetic Mean Examples)
Q. संख्या 6 और 10 के बीच समांतर माध्य क्या होगा?
संख्या 6 और 10 के बीच समांतर माध्य=
A.M. = (6+10) / 2
समांतर माध्य (A.M.) = 8
इस प्रकार तीनों को लिखने पर संख्या 6, 8, 10 की समांतर श्रेणी प्राप्त होती है। इस प्रकार यह सिद्ध भी होता है कि दो संख्याओं का समान्तर माध्य निकालने पर तीनों संख्याए समान्तर श्रेणी में व्यवस्थित हो जाती है।
इस प्रकार समांतर श्रेणी (Arithmetic Progression) के सभी टॉपिक को बेहतरीन तरीके से बताया गया है। यदि कोई प्रश्न हो तो हमारे Telegram Group में पूछे। इसी तरह की जरुरी जानकारी के लिए नीचे दिए हमारे Telegram तथा अन्य Facebook ग्रुप से अभी जुड़े।
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