सुनामी क्या है?, सुनामी कैसे आती है, परिभाषा, कारण, प्रभाव, सुनामी आपदा प्रबंधन, 2004 सुनामी चेतावनी प्रणाली

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सुनामी (Tsunami) एक प्राकृतिक घटना है। Tsunami meaning यह दो शब्दो से मिलकर बना है सू+नामी। सू (tsu) का अर्थ है समुंद्री किनारा या बंदरगाह तथा नामी (nami) का अर्थ है लहरों से बना हुआ। अतः सुनामी (tsunami) एक ऐसी लहरे है जो बंदरगाह तथा समुंद्री किनारों पर आती है।

सुनामी लहरों के बारे में जानकारी परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। परीक्षा के साथ-साथ यह जानकारी सामान्य जीवन के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। सुनामी के कारण, सुनामी आने से पहले आपदा प्रबन्धन, सुनामी के समय आपदा प्रबंधन, बचने के उपाय, प्रभाव, सुनामी की पूर्व घटनाएं इत्यादि का ज्ञान होना अति आवश्यक होता है।

Tsunami images

सुनामी क्या है, सुनामी की परिभाषा | What is Tsunami

Definition of Tsunami- सुनामी ऐसी लहरे है जो भूकम्प, ज्वालामुखी विस्फोट, जल में होने वाले भूस्खलन, परमाणु परीक्षण इत्यादि के कारण उत्पन्न होती है और जिनमें बंदरगाह तथा आस-पास के इलाकों को क्षतिग्रस्त करने की क्षमता होती है। ऐसी लहरे सुनामी (Tsunami) कहलाती है।

सुनामी लहरों की ऊंचाई 15 मीटर तथा उससे भी अधिक हो सकती है। सुनामी लहरों 50 किलोमीटर/घण्टे से 800 किलोमीटर/घण्टे तक की गति से आस-पास की बस्ती को क्षतिग्रस्त कर सकती है। सुनामी लहरों की ताकत का अनुमान लगाना एक मुश्किल कार्य है।

सुनामी के कारण (causes of Tsunami)

सुनामी के 5 मुख्य कारण होते है। जिनके कारण सुनामी लहरों की उत्पत्ति होती है।

  1. भूकंप: किसी बड़े भूकंप के आने से कई घंटों तक सुनामी की आशंका रहती है। जब समुंद्री क्षेत्रों में भूकंप आता है तो समुन्द्र का पानी का स्तर कुछ ऊपर उठ जाता है जिसके बाद वह अपनी पूर्व अवस्था प्राप्त करने के लिए नीचे की ओर गिरता है। जिसके कारण तरंगों की उत्पत्ति होती है जो समुन्द्र में चारो ओर फैल जाती है। ये तरंगे ही आगे चलकर सुनामी लहरों का कारण बनती है

    सुनामी लहरें अपने उत्पन्न केंद्र पर इतनी प्रभावी नहीं होती है। लेकिन जैसे-जैसे वह किनारे की ओर बढ़ती जाती है, यह अधिक हानिकारक होती जाती है।
  2. समुंद्र के अंदर टैक्टानिक प्लेटों के टकराने से: भूकम्प के कारण सुनामी की उत्पत्ति कुछ इस प्रकार होती है। पृथ्वी के नीचे टैक्टानिक प्लेट नामक चट्टाने है। जब यह टैक्टानिक प्लेट परस्पर टकराती है तब उनसे दबाव उत्पन्न होता है।
    इन टैक्टानिक प्लेटों के दबाव और विस्थापन के कारण प्लेटों में कई किलोमीटर तक लंबी दरार उत्पन्न हो जाती है। ये लंबी दरारें में कंपन के कारण ही समुंद्र में उथल-पुथल होती है जो सुनामी लहरों को उत्पन्न करती है। समुंद्र में भूकम्प आना सुनामी उत्पन्न होने के मुख्य कारण है।
  3. भूस्खलन: पर्वतीय ढालो का बहुत बड़ा भाग जलतत्व की अधिकता तथा असंतुलित आधार के कारण अचानक तेजी से सम्पूर्ण अथवा टुकड़ो में गिर जाता है, टुकड़ो के रूप में गिरने को ही भूस्खलन कहते है। जब यह भूस्खलन समुन्द्र जैसे क्षेत्रों में उत्पन्न होता है तो यह सुनामी जैसी घटना को उत्पन्न करता है। खुदाई तथा अपरदन भी भूस्खलन को जन्म देते है, जो आगे चलकर सुनामी का कारण बनता है।
  4. ज्वालामुखी विस्फोट: ज्वालामुखी पृथ्वी पर ऐसे छेद तथा दरारों का मुख होता है जिसमे से होकर पृथ्वी के अन्दर का पिघला पदार्थ गैस, भाप, राख बाहर निकलते है। यदि ज्वालामुखी समुन्द्र के किनारे पर स्थित है तो ज्वालामुखी से निकला लावा समुन्द्र में गिरता है। ज्वालामुखी के फटने से अधिक मात्रा में कम्पन उत्पन्न होते है यह कम्पन समुंद्र में लहरों को उत्पन्न करते है जो सुनामी लहरों का कारण बनती है।
    Krakatoa ऐसे ज्वालामुखी का उदाहरण है जो समुंद्र के किनारे पर स्थित है। यह ज्वालामुखी हिन्द महासागर में स्थित है। krakatoa विश्व का सबसे विस्फोटक और खतरनाक ज्वालामुखी में से एक है।
  5. परमाणु परीक्षण: यदि परमाणु परीक्षण समुंद्र तट के किनारे किए जाते है तो अत्यधिक संभावना रहती है कि इसके कम्पन के कारण समुन्द्र में लहरे उत्पन्न होती है। यदि विस्फोट अधिक मात्रा में हो तो यह सुनामी का कारण बन सकता है।
tsunami सुनामी

सुनामी के प्रभाव (Tsunami Effects)

  • समुन्द्र तट के पास में स्तिथ पर्यटक स्थल, resorts तथा होटलों का क्षतिग्रस्त हो जाना
  • अधिक संख्या में लोगो का बीमारी तथा संक्रामक रोगो से ग्रसित हो जाना
  • संचार तथा यातायात साधनों का ख़राब हो जाना तथा देश का आर्थिक रूप से नुकसान होना
  • रेल की पटरियों तथा आने-जाने वाले मार्गो का नष्ट हो जाना
  • समुंद्री जल का दूषित हो जाना
  • सुनामी क्षेत्र में बिजली का प्रभावित हो जाना जिसके कारण लोगो को परेशानी का सामना करना पड़ता है
  • नाव, समुंद्री जहाजों का क्षतिग्रस्त हो जाते है जिसके कारण मछुआरों की जीविका के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ता है
pictures of tsunami

सुनामी आपदा प्रबंधन सुनामी आने के पूर्व | सुनामी आने के पूर्व आपदा प्रबंधन

  1. सुनामी आने की जानकारी परिवारजनों तथा आस-पास के लोगो से विचार विमर्श करना चाहिए।
  2. यह पता लगाना चाहिए कि आपका क्षेत्र सुनामी ग्रसित क्षेत्र की सीमा में आता है या नहीं।
  3. अपने घर, दुकान आदि से बचाव के रास्ते के बारे में भली-भाँति पता होना चाहिए।
  4. सुनामी के समय उपयोग में आने वाली वस्तुओं को अपने पास रखना चाहिए।
  5. अपने घर, दुकान, स्कूल आदि से समुन्द्र तल की ऊँचाई का पता रखना चाहिए।
  6. अपने किसी रिश्तेदार को सहायता के लिए तैयार रखना चाहिए जिसका घर सुनामी ग्रसित क्षेत्र से।दूर हो जिससे जरुरत पड़ने पर आप उसके घर रुक सके।
  7. घर बनवाते समय इंजीनियर की सहायता से अपने घर को सुनामी प्रूफ बनवाना चाहिए।
  8. घरो को बाढ़ (सुनामी) के पानी से बचाने के लिए उन्हें ऊँचे स्थान पर बनवाना चाहिए।

सुनामी के समय आपदा प्रबंधन | सुनामी आपदा प्रबंधन सुनामी के समय

  1. अपने और अपने सभी परिवार के लोगो के जेब में घर का पता तथा मोबाइल नंबर लिखा हुआ रखे।
  2. घर के नजदीकी सुनामी सुरक्षा केंद्र पर पहुंचना चाहिए।
  3. सरकारी अधिकारियों के निर्देशों का पालन करना चाहिए।
  4. स्थानीय television तथा रेडियो से समाचार सुनते रहना चाहिए।
  5. आपदा के समय धैर्य रखे, शांति बनाये रखे तथा सोच समझकर फैसले ले।
  6. सुनामी के दौरान अपनी आपदा सामग्री अपने साथ रखे।
  7. सुनामी के दौरान यदि आप किसी होटल में हो तो तुरंत उसकी छत पर चले जाए।
  8. सुनामी के दौरान यदि आप किसी नाव या जहाज में हो तो समुन्द्र तट की ओर नहीं बढ़ना चाहिए।
  9. सुनामी के समय अपनी नाव या जहाज को गहरे समुन्द्र की ओर ले जाना चाहिए क्यूंकि गहरे समुन्द्र में सुनामी की लहरों का प्रभाव कम होता है।

सुनामी के बाद आपदा प्रबंधन | सुनामी आपदा प्रबंधन सुनामी के बाद

  1. रेडियो, टेलीविज़न पर सुनामी की नवीनतम खबरों को सुने
  2. सुनामी से हुए नुकसान की स्तिथि को समझे
  3. यदि परिवार के सदस्यों को शारीरिक चोट लगी हो तो उनके उपचार की व्यवस्था करनी चाहिए
  4. आपदा से प्रभावित भवनों तथा मकानों में प्रवेश करने में सावधानी बरतनी चाहिए
  5. सुनामी के पानी में डूबे भवनों से दूर रहे क्यूंकि हो सकता है कि लहरों के कारण उनकी नीव कमजोर हो गयी हो अतः उनके गिरने का खतरा रहता है घरो के फर्श में भी दरारे आ सकती है और दीवारे भी फटकर जमीन पर गिर सकती है
  6. आपदाग्रस्त क्षेत्रों में अनावश्यक रूप से घूमने न जाए क्यूंकि भीड़ होने से राहत करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है
  7. आपदाग्रस्त क्षेत्रों से जल्दी से जल्दी निकलने का प्रयास करना चाहिए क्यूंकि वहाँ का वातावरण प्रदूषित हो सकता है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है
  8. बिजली का Main switch (मैन स्विच) बंद होना चाहिए
  9. यह जाँच करनी चाहिए कि कोई बिजली चलित यन्त्र पानी में न डूबा हो यह भी देखना चाहिए कि स्विच ऑन की स्तिथि में तो नहीं है अन्यथा उसे बंद कर देना चाहिए
  10. गैस के लीकेज की जाँच करनी चाहिए तथा सभी खिड़की तथा दरवाजों को खुला रखना चाहिए
Tsunami video credit National Geographic

सुनामी कब आई थी | सुनामी 2004 Indian Ocean Tsunami

पूरी दुनिया में 26 दिसम्बर 2004 का दिन काला रविवार के नाम से याद किया जाता है क्योंकि इस दिन सुनामी आई थी। 26 दिसम्बर का रविवार क्रिसमस के दिन का अगला दिन था। 26 दिसम्बर 2004 के दिन इंडोनेशिया के द्वीप उत्तरी सुमात्रा तथा अंडमान व निकोबार द्वीप समूह पर 2 भयंकर भूकंप आये।

पहला भूकम्प रिक्टर स्केल पर 8.9 की सघनता वाला था तथा दूसरा भूकंप रिक्टर स्केल पर 7.3 सघनता वाला था इन दोनों भयानक भूकम्पों की वजह से हिन्द महासागर में भयंकर सुनामी लहरें उत्पन्न हुई।

इन लहरों ने इंडोनेशिया, श्रीलंका, भारत, थाईलैंड, मालदीव, मलेशिया तथा पूर्व अफ्रीकी राष्ट्रों के समुन्द्र के तटीय क्षेत्रों को तहस-नहस कर दिया इन समुंद्री लहरों ने अपना खतरनाक रूप दिखते हुए लगभग 1,50,000 अमूल्य जीवन लीलाओ को समाप्त कर दिया।

पहला भूकम्प का केंद्र सुमात्रा के लगभग 165 किलोमीटर दूर पश्चिम में समुन्द्र तल से औसतन 30 किलोमीटर नीचे रिंग ऑफ फायर (Ring of fire) नामक क्षेत्र में था, जहा अक्सर भूकंप आते है। इस भूकम्प ने एक ही रात में भयानक तबाही मचा दी थी।

सुनामी के ऊपर कई Movies भी बनाई गयी है जिनमे से The Wave एक बेहतरीन फिल्म है

सुनामी कैसे आती है | सुनामी 2004 का कारण

पृथ्वी की संपूर्ण सतह नौ बड़ी तथा कई छोटी गतिशील प्लेटों में खण्डित अवस्था में होती है। ये प्लेट टैक्टोनिक प्लेटों के नाम से जानी जाती है। टैक्टोनिक प्लेट की मोटाई लगभग 50 मील होती है। ये प्लेटे एक-दूसरे के सापेक्ष कुछ इंच गति करती है।

26 दिसम्बर 2004 को वर्मा प्लेट के नीचे भारतीय प्लेट फिसल गई और इससे दबाव उत्पन्न हो गया। प्लेट के खिसक जाने की कारण ही भूकंप आया। टैक्टोनिक प्लेट में हलचल के कारण महासागर का एक भाग विस्थापित हो गया और इसके बाद पानी ऊपर आ गया। जिसके कारण खतरनाक लहरे उत्पन्न हुई।

इन सुनामी लहरों की गति लगभग 750 किलोमीटर प्रति घंटा तथा उससे भी अधिक गति थी। इस गति से यह लहरे समुन्द्र तट की ओर जाने लगी।

इन भयानक सुनामी लहरों ने मुख्य तौर पर दक्षिण तथा दक्षिण पूर्व एशिया में बहुत ज्यादा तबाही की। 26 दिसम्बर 2004 की सुनामी आधुनिक समय में भी इतिहास की सबसे भयानक सुनामी घटना के रूप में याद की जाती है।

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सुनामी चेतावनी प्रणाली (Tsunami Warning system)

सुनामी चेतावनी प्रणाली का प्रयोग सुनामी के हानिकारक प्रभाव को कम करने के लिए किया जाता है। वह क्षेत्र जहा सुनामी आने के आशंका होती है वहा सुनामी चेतावनी प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। सुनामी चेतावनी प्रणाली के विकास में काफी खर्च आता है, लेकिन इस चेतावनी प्रणाली का विकास किए जाने के अलावा हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

National Oceanic and Atmospheric Administration Centre के Director Charles Mack ने कहा यदि भारत में यह चेतावनी प्रणाली होती तो इस सुनामी आपदा से मरने वाले ज्यादातर लोगों को बचा लिया जाता।

USA का पश्चिमी तट प्रशांत महासागर में आने वाली सुनामी के क्षेत्र में आता है। सुनामी चेतावनी प्रणाली के अंतर्गत व्यक्ति को सुनामी से बचने के लिए सुरक्षित स्थान पर चले जाने के चेतावनी दी जाती है।

भारत सरकार ने भी सुनामी से बचने के लिए उपयुक्त कदम उठाए हैं-

  • भारत ने अपने आप को 26 देश के नेटवर्क सिस्टम से जोड़ लिया है जिसके कारण यह सभी देश समय-समय पर एक दूसरे को सूचना प्रदान करते हैं और सहायता भी करते हैं
  • USA से Disaster management system लाने की योजना निर्मित की है
  • समुद्री तटवर्ती क्षेत्रों में वृक्षारोपण से shelter Belt बनाने की योजना का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है
  • लोगों को अपना जीवन बचाने की क्षमता मतलब surviving skills की जानकारी दी गई है
  • समुद्री तटीय क्षेत्रों में Buildings वहा के वातावरण के नियम के अनुसार भवनों का निर्माण किया जाएगा
  • समुद्री तट के साथ-साथ संलग्न दीवार बनाई जाने का सुझाव भी प्रस्तुत है।

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FAQ (Frequently Asked Questions)

सुनामी नाम किसने दिया? Who named the tsunami?

सुनामी शब्द का नाम जापान में पड़ा है। जापान में सुनामी शब्द को अर्थ को Disaster (आपदा) कहा जाता है। सुनामी जापानी भाषा का शब्द है, जो जापान के दो शब्दों से मिलकर बना है सु+नामी। सू (tsu) का अर्थ होता है समुंद्री किनारा या बंदरगाह तथा नामी (nami) का अर्थ है लहरों से बना हुआ। Tsunami एक ऐसी लहरे है जो बंदरगाह तथा समुंद्री किनारों पर आती है।

सबसे पहले सुनामी कब आयी थी? When was the first tsunami?

सबसे पुरानी दौर में दर्ज सुनामी सबसे पहले सुनामी 479 ईसा पूर्व में आई थी। यह सुनामी इतनी खतरनाक थी कि इसने फ़ारसी सेना को नष्ट कर दिया था। यह फ़ारसी सेना ग्रीस के पोटिडेया शहर पर हमला करने जा रही थी।

भारत में सबसे बड़ी सुनामी कब आयी थी? Which is the biggest tsunami in India?

26 दिसम्बर 2004 की सुनामी भारत में सबसे बड़ी सुनामी में से एक थी। यह सुनामी रविवार के दिन आयी थी जिस कारण इस रविवार को काला रविवार नाम से जाना जाता है।


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