वस्तु को आकर्षक दिखाने तथा जंग लगने से सुरक्षा में पेंट (Paint) महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पेंट करने से पहले हमे यह जानना जरुरी है कि पेंट कैसे बनता है और पेंट करने के फायदे क्या होते है।
इसके बाद पेंट बनाने की पूरी प्रकिया तथा पेंट बनाने में इस्तेमाल किये जाने वाले पदार्थों को जानेंगे। इन सभी बातों को लेख में आसान भाषा में बेहतर ढंग से बताया गया है।
पेंट किसे कहते हैं? | पेंटिंग किसे कहते है?
किसी उपयुक्त द्रव में रंजक या पिग्मैंट का महीन कणों के रूप में मिश्रण पेंट (Paint) कहलाता है। धातु, लकड़ी, तथा अन्य पदार्थों से बनी वस्तुओं को वायुमंडल के दुष्प्रभावों से सुरक्षा के लिए उनकी सतह पर पेंट, वर्निश, पॉलिश चढ़ाने की प्रक्रिया को पेंटिंग (Painting) कहते है।
सतह को पेंट करने से वस्तुओं की सतह जल्दी खराब नही होती है और लंबे समय तक सुंदर, चमकदार, आकर्षक बनी रहती है।
पेंट कैसे बनता है | How is Paint Made
पेंट के तीन मुख्य तत्व (कच्चे माल) वाहक (vehicle), रंजक (Pigment), फैलाने वाले पदार्थ (Expandable) के मिश्रण से पेंट बनता है।
रंजक को पिगमेंट भी कहा जाता है। इन पिगमेंट का मुख्य कार्य पेंट को मनचाहा रंग देना होता है। रंजक के रूप में अनेक कार्बनिक यौगिक तथा अकार्बनिक लवण आदि का प्रयोग किया जाता है।
अच्छे पिगमेंट वे होते है जिनका रंग वायुमंडल के प्रभाव से उड़ता नही है और पेंट की सतह उसी रंग में बनी रहती है।
रंजक (Pigment) का मिश्रण जिस द्रव में मिलाया जाता है उसे वाहक (vehicle) कहते है। वाहक को बंधक भी कहा जाता है। वाहक या बंधक वास्तव में तेल या रेजिन होते है जैसे- अलसी का तेल आदि। वाहक या बंधक का कार्य पेंट के अवयवों को बांधकर रखना तथा पेंट को तरलता प्रदान करते है। इनकी सहायता से पेंट को आसानी से फैलाया जा सकता है।
इनके अलावा पेंट में अन्य तरल जिन्हे विलायक (Thinner) को भी मिलाया जा सकता है। इन विलायक या थिनर्स का इस्तेमाल पेंट को पतला करने के लिए किया जाता है। ज्यादातर तारपीन का तेल विलायक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
पेंट बनाने में इस्तेमाल पदार्थ | Materials Used in Paints
पेंट बनाने में इस्तेमाल पदार्थ निम्न है-
- आधार (Base)
- वाहक या बंधक (Vehicle or Binder)
- रंजक (Pigments)
- विरलक या विलायक (Thinner or Solvent)
- शोषक (Driers)
- अक्रिय पूरक (Insert Filler)
आधार | Paint Base
यह पेंट का मुख्य पदार्थ होता है जिसका मुख्य कार्य सतह को पेंट करने के लायक बनाना होता है। यह पेंट के सूखने के बाद उसे चटकने नहीं देता है और पेंट की परत को मोटी बनाकर उसे मजबूत, कठोर तथा अपकर्षणरोधी (Abrasion Resistant) बनाता है। इसके साथ-साथ आधार की सहायता से नमी सतह तक नहीं पहुँचती है। इसमें बन्धक गुण भी होते है। आधार के रूप में सामान्यतः निम्न पदार्थों को उपयोग में लाया सकता है-
(a) सफेदा (White Lead): सफेदे का आधार के रूप में सबसे अधिक उपयोग होता है। वास्तव में यह सीसा कार्बोनेट (Lead Carbonate) होता है। यह पेंट बनाने वालों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। मार्केट में यह अलसी के तेल में बने घोल के रूप में मिलता है। सफेदा अन्य पदार्थों जो आधार की तरह प्रयोग में आते हैं, उनसे सस्ता होता है। यह सघन, स्थायी तथा जलरोधी होता है किन्तु यह जहरीला होता है।
सफेदा से बना पेंट लोहे की सतह के लिए उपयुक्त नहीं है। यह जंग लगने को रोकने में असमर्थ रहता है। इसका उपयोग अधिकतर लकड़ी के ऊपर पेन्ट चढ़ाने के पेन्ट निर्माण में किया जाता है।
(b) सिन्दूर (Red Lead): यह सीसे का ऑक्साइड (Lead Oxide) होता है। इसकी धसन सामर्थ्य (Penetrating Power) बहुत अधिक होती है। यह लकड़ी में काफी गहराई तक प्रवेश कर सकता है। अतः इसे लकड़ी तथा लोहे के लिए पहला लेप (Primary Coat) करने में प्रयोग किया जाता है।
(c) जस्ता ऑक्साइड (White Lead or Zinc Oxide): यह सफेद पेंट (White Paint) बनाने में आधार का कार्य करता है। यह चिकना, पारदर्शक एवम् विषहीन होता है। इसमें सफेदे की अपेक्षा सतह घेरने की क्षमता (Surface Covering Capacity) कम होती है। अतः यह महंगा पड़ता है। कम टिकाऊ होने के कारण इसका उपयोग निम्न श्रेणी के कार्यों में किया जाता है।
(d) लोहे का ऑक्साइड (Iron oxide): यह लाल रंग प्रदान करने वाला आधार है तथा इसे उच्च कोटि के प्रलेप बनाने में प्रयोग किया जाता है। यह सस्ता एवम् टिकाऊ है। इसे उपयुक्त वाहक में मिलाकर लोहे पर प्राथमिक लेपन (Primary coating) के रूप में किया जाता है।
(e) टाइटेनियम श्वेत (Titanium White): यह पदार्थ अपारदर्शक होता है किन्तु इसकी पतली परत पारदर्शी (Transparent) होती है। इसका उपयोग आधार के रूप में ऐनेमल पेन्ट (Enamel) बनाने में किया जाता है।
वाहक या बंधक | Paint Vehicle or Bond
यह पेंट का दूसरा अवयव है जिसमें आधार मैटेरियल को मिलाकर पेन्ट तैयार किया जाता है। वाहकों का मुख्य कार्य पेन्ट को सतह पर समान रूप से फैलाने की क्षमता प्रदान करना है। इसके साथ-साथ पेन्ट को घटकों को आपस में बांध कर रखना तथा सतह पर चिपकाना है। ऐसा करने से पेंट की सतह समतल प्राप्त होती है। आमतौर पर जन्तु एवं वनस्पति तेल वाहकों की तरह प्रयोग में आते हैं।
अलसी का तेल (Linseed Oil) आमतौर पर वाहकों के प्रयोग में आता है। यह आन्तरिक सतहों पर पेन्ट करने के काम आता है। अलसी के तेल के अतिरिक्त पोस्त का तेल (Poppy Oil), सोयाबीन का तेल, बिनौले का तेल, अखरोट का तेल तथा मछली का तेल भी प्रयोग में लाये जाते हैं।
विरलक या विलायक | Paint Thinner (Solvent)
विरलक मिलाने से गाढ़ा पेन्ट पतला हो जाता है और सतह पर आसानी से फैल जा सकता है। जिससे सतह पर पेन्ट की एक पतली परत प्राप्त होती है। ये विरलक वाष्पशील होते है। और पेंट को शीघ्र सुखाने में सहायक होते हैं। इनके प्रयोग से पेंट की सतह ढकने की सामर्थ्य बढ़ जाती है। विरलक के लिए तारपीन का तेल (Turpentine Oil) प्रयोग में आता है।
तारपीन का तेल पाइन वृक्षों से प्राप्त किया जाता है। अधिकांशतः इसका उपयोग भीतरी सतहों के लिए पेन्ट बनाने में किया जाता है। तारपीन तेल के अतिरिक्त बेंजीन, मिट्टी का तेल तथा स्प्रिट आदि को विरलक के रूप में प्रयोग करते हैं।
शोषक | Paint Driers
शोषक का पेन्ट के लिए उपयोग पेन्ट को शीघ्र सुखाने के उद्देश्य से किया जाता है। शोषक वायुमंडल से ऑक्सीजन शोषण करके वाहक को देता है जिससे वाहक आक्सीकृत होकर कठोर हो जाता है और शीघ्र सूख जाता है।
शोषक के उपयोग से पेन्ट के लचीलेपन एवम् रंग को हानि पहुँचती है अतः अन्तिम कोटिंग (Final Coating) के पेन्ट में शोषक नहीं मिलाया जाता है। अतः शोषक का उपयोग आवश्यकतानुसार ही किया जाना उचित है क्योंकि अनावश्यक रूप से इसके उपयोग से पेन्ट की प्रत्यास्थता (Elasticity) कम हो जाती है तथा पेन्ट कठोर हो जाता है।
आमतौर पर मैंगनीज डाइऑक्साइड, सिन्दूर, लैड ऐसीटेट (Lead Acetate) आदि का उपयोग शाषकों की तरह किया जाता है।
रंजक | Paint Pigments
रंजकों का कार्य पेन्ट को आवश्यक रंग (Colour) प्रदान करना होता है। धूप, ऊष्मा, वायु में नमी तथा अम्लीय प्रभावों (Acidic Effects) से रंजक का रंग फीका पड़ जाता है। अतः रंजक इस योग्य होना चाहिए कि उपरोक्त से प्रभाकित न हो सके। किसी भी उपयुक्त रंजक को पेन्ट में मिलाकर पेन्ट को इच्छानुसार रंग प्रदान किया जा सकता है।
इस प्रकार दो या दो से अधिक रंजक वर्णकों को मिलाकर इच्छानुसार रंगों के शेड्स (Shades) प्राप्त किये जा सकते हैं।
प्रमुख पदों को रंजकों के रूप में प्रयोग किया जाता है जिनसे निम्न रंग प्राप्त होते हैं।
(a) लाल रंग (Red Colour): लाल रंग प्राप्त करने के लिए लाल सीमा (Red Lead) या सिन्दूर, कारमाइन तथा हिरमिजी आदि प्रयोग में आते हैं।
(b) काला रंग (Black colour): काले रंग के लिए दीपक का काजल (Lamp Black), ग्रेफाइट, वनस्पति काजल (Vegetable Black) तथा अस्थि काजल (Bone Black) इत्यादि प्रयोग में आते हैं।
(c) पीला रंग (Yellow Colour): पीला रंग प्राप्त करने के लिए पीला क्रोम, पीला यसद, रामरज तथा कच्चा सिएना आदि प्रयोग में लाते है।
(d) नीला रंग (Blue Colour): नीला रंग प्राप्त करने के लिए नील, प्रशियन नील (Prussian Blue) तथा नीला कोबाल्ट आदि प्रयोग में लाते हैं।
(e) हरा रंग (Green Colour): हरा रंग प्राप्त करने के लिए नीला थोथा या कापर सल्फेट, हरा क्रोम आदि प्रयोग में लाये जाते हैं।
(f) भूरा रंग: भूरे रंग के लिए कच्चा अम्बर (Raw Umber) तथा जला या पका अम्बर आदि प्रयोग में आते हैं।
(g) सफेद रंग: सफ़ेद रंग के लिए सफेदा (White Lead) आदि का उपयोग करते हैं।
अक्रिय पूरक | Paint Fillers
प्रलेप की कीमत बटाने तथा आयतन चढ़ाने के लिए जो पदार्थ प्रयोग में लाये कते हैं उन्हें अक्रिय पूरक कहते हैं। अक्रिय पूरक की पेन्ट में मात्रा आधार पदार्थ की मात्रा से चौथाई से अधिक नहीं होनी चाहिए।
सामान्यतः पेन्ट में खड़िया मिट्टी, एल्यूमिनियम, सिलिकेट, बैरियम सल्फेट आदि अक्रिय पूरक की तरह प्रयोग में लाये जाते हैं।
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पेंट बनाने की प्रक्रिया | Paint Manufacturing Process
पेंट मुख्य रूप से 6 पदार्थों से मिलकर बना होता है। यह 6 पदार्थ आधार, वाहक, रंजक, विरलक, शोषक, पूरक पदार्थ होते है। इन पदार्थों की भिन्न-भिन्न मात्रा का इस्तेमाल करके विभिन्न प्रकार के पेंट बनाए जा सकते है।
सबसे पहले आधार पदार्थ को चयन किया जाता है। इसके बाद आधार में वाहक पदार्थ की थोड़ी मात्रा अच्छी तरह मिलाकर लेई जैसा पेस्ट तैयार किया जाता है। इस पेस्ट को ब्रुश की सहायता से चैक कर लेते है कि यह सतह पर अच्छी तरह फैलाया जा सकता है।
जिस रंग का पेंट बनाना है उस रंग के रंजक (Pigment) को विलायक (Thinner) में घोलकर पेंट में मिला लिया जाता है। इसके बाद मिश्रण को अच्छी तरह से मिला लेते है। यदि पेंट गाढ़ा होता है तो इसे पतला करने के लिए और अधिक विलायक को मिला लिया जाता है। यदि पेंट को जल्दी सूखने की क्षमता वाला बनाना हो तो इसमें शोषक (Drier) मिलाए जाते है।
यदि पेंट की कीमत को घटाना हो तो इसमें पूरक पदार्थ मिलाए जाते है। इससे पेंट की मात्रा बढ़ जाती और कीमत कम हो जाती है। लेकिन इसके कारण पेंट की क्वालिटी कम हो जाती है और पेंट की सतह चिकनी, परिष्कृत नही दिखती है।
पूरक पदार्थ के रूप में चाक मिट्टी, बैरियम सल्फेट, एल्यूमिनम सल्फेट या सिलिका का प्रयोग करते है। पेंट में मिलाने वाले पदार्थों को सही मात्रा में मिलाना चाहिए।
पेंट करने के फायदे | पेंट करने की आवश्यकता
सतहो को पेंट करने के कई प्रकार के फायदे है जो निम्न प्रकार है-
- पेंट सतहों को चिकना, चमकदार तथा आकर्षक बनाता है।
- पेंट से सतह को ऊष्मा तथा वाष्प के कुप्रभावों से रक्षा होती है।
- पेंट की जाने वाली सतह जंगरोधी हो जाती है।
- हल्के रंग के पेंट काफी सीमा तक प्रकाश तथा ऊष्मा का परावर्तन करते है।
- पेंट करने से सतह की आयु में वृद्धि होती है।
- पेंट सतहों पर नमी का प्रभाव नहीं पड़ने देता है।
- पेंट से सतह में जो असमानता होती है वह छिप जाती है और सतह समान दिखती है।
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