पृथ्वी तल पर g (गुरुत्वीय त्वरण) का मान 9.81 मीटर/सेकंड² होता है। पृथ्वी तल से ऊपर तथा नीचे जाने में g का मान घटता है। पृथ्वी तल से ऊपर जाने में g का मान घटता जाता है जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती जाती है उसी तरह से g गुरुत्वीय त्वरण का मान कम होता जाता है।
पृथ्वी तल से ऊपर जाने में g का मान क्यों घटता है? इसका कारण, सूत्र, संबंध हम सरल भाषा में समझेंगे। इसके साथ पृथ्वी तल से ऊपर जाने में g के मान में परिवर्तन का सूत्र भी स्थापित करेंगे।
पृथ्वी तल से ऊपर जाने में g के मान में परिवर्तन का सूत्र
$$g’=\frac1{\left(1+{\displaystyle\frac h{R_e}}\right)^2}$$
यहाँ,
- g’= ऊपर जाने पर परिवर्तित गुरुत्वीय त्वरण
- g = पृथ्वी तल पर गुरुत्वीय त्वरण
- h = पृथ्वी से तल से वस्तु की ऊंचाई
- Re= पृथ्वी की त्रिज्या
समझने के लिए: हम एक वस्तु को पृथ्वी तल से h ऊंचाई पर ले गए है। इस स्थान पर हम वस्तु का परिवर्तित गुरुत्वीय त्वरण (g’) ऊपर दिए सूत्र की सहायता से ज्ञात कर सकते है। पृथ्वी तल पर g (गुरुत्वीय त्वरण) का मान 9.81 मीटर/सेकंड² होता है।
पृथ्वी तल से ऊपर जाने में g के मान में परिवर्तन सूत्र का निगमन (सम्बन्ध)
पृथ्वी तल से ऊपर जाने में g के मान में परिवर्तन सूत्र का निगमन (सम्बन्ध) करने से पहले हमें कुछ बातों का पता होना जरुरी है। जैसे-
- O = पृथ्वी का केंद्र
- Me = पृथ्वी का द्रव्यमान
- m = वस्तु का द्रव्यमान
- g’= ऊपर जाने पर परिवर्तित गुरुत्वीय त्वरण
- g = पृथ्वी तल पर गुरुत्वीय त्वरण
- h = पृथ्वी से तल से वस्तु की ऊंचाई
- Re= पृथ्वी की त्रिज्या
स्थिति (1) पृथ्वी के तल पर m द्रव्यमान की एक वस्तु स्थित है।
न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण नियम के अनुसार,
(यदि आप गुरुत्वाकर्षण बल तथा उसके सूत्र के बारे में जानना चाहते है तो कमेंट बॉक्स में लिखे)
समीकरण (1) वस्तु पर कार्य करने वाला गुरुत्व बल (F)=
$$F=\frac{G\;M_e\;m}{R_e^2}$$
समीकरण (2) वस्तु का भार (W)=
$$W=m\;g$$
समीकरण 1 व समीकरण 2 से-
$$m\;g=\frac{G\;M_{e\;}m}{{R^2}_e}….\;Equation\;(3)$$
स्थिति (2) जब वस्तु को पृथ्वी तल से h ऊँचाई पर ले जाते है।
तो समीकरण 3 की तरह ऊंचाई (h) पर वस्तु का समीकरण-
$$m\;g’=\frac{G\;M_{e\;}m}{\left(R_e+h\right)^2}…\;Equation\;(4)$$
समीकरण 4 को समीकरण 3 से भाग देने पर-
$$\frac{m\;g’}{m\;g}=\frac{\frac{G\;M_{e\;}m}{\left(R_e+h\right)^2}}{\frac{G\;M_{e\;}m}{\left(R_e+h\right)^2}}$$
भाग के ऊपर वाला m, G, Me नीचे वाले m, G, Me से विभाजित (कट) जाएगा। अतः
$$\frac{g’}g=\frac{R_e^2}{\left(R_e+h\right)^2}$$
ऊपर दिए गए समीकरण को Re के वर्ग से भाग देने पर-
$$\frac{g’}g=\frac1{\left(1+{\displaystyle\frac h{R_e^2}}\right)^2}$$
$$g’=\frac g{\left(1+{\displaystyle\frac h{R_e^2}}\right)^2}$$
यही समीकरण पृथ्वी तल से ऊपर जाने में g के मान में परिवर्तन का सूत्र (सम्बन्ध) है।
इस समीकरण से हम देख सकते है कि g’ के सामने g है। g के भागफल में ऊँचाई (h) है। अतः समीकरण में ऊँचाई h के बढ़ने पर g के मान में कमी आती है। जिससे g’ का मान भी कम आएगा क्यूंकि यह g के बराबर में है।
g'<g
इससे यह सिद्ध होता है कि पृथ्वी तल से ऊँचाई पर जाने में g (गुरुत्वीय त्वरण) के मान में कमी आती है।
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चन्द्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण
चन्द्रमा पर पृथ्वी की तुलना में गुरुत्वीय त्वरण का मान 1/6 होता है। पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण 9.81 मीटर/सेकंड² होता है। अतः चन्द्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण पृथ्वी से तुलना करने पर 9.81/6= 1.63 मीटर/सेकंड² होता है।
- चन्द्रमा का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान का 1/81 गुना होता है।
- चन्द्रमा की त्रिज्या पृथ्वी की त्रिज्या की 1/3.7 गुना होती है।
- Mm= चन्द्रमा का द्रव्यमान
- Rm= चन्द्रमा की त्रिज्या
- gm= चन्द्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण
चन्द्रमा पर g का मान निकालने के लिए सूत्र=
$$g_m=\frac{G\;M_{m\;}}{R_m^2}$$
$$M_m=\frac{M_e}{81}\;and\;R_m=\frac{R_e}{3.7}$$
- Me= पृथ्वी का द्रव्यमान
- Re= पृथ्वी की त्रिज्या
- ge= पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण
यह मान सूत्र में रखने पर-
$$g_m=\frac{G\;M_e}{81\;\left({\displaystyle\frac{R_e}{3.7}}\right)^2}$$
$$g_m=\frac{G\;M_{e\;\;}\;\;\left(3.7\right)^2}{\left(R_e\right)^2\;\;\;\;81}$$
$$g_m=\frac{ge\;\left(3.7\right)^2}{81}$$
$$g_m=\frac{9.81\;\times\;\left(3.7\right)^2}{81}$$
$$g_m=1.658\;meter/second^2$$
अतः चन्द्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण 1.658 मीटर/सेकंड² होता है।
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FAQ (Frequently Asked Questions)
पृथ्वी तल से ऊपर जाने पर गुरुत्वीय त्वरण (g) का मान क्या होता है?
पृथ्वी तल से ऊपर जाने पर जी का मान घटता है। पृथ्वी तल पर g का मान 9.81 मीटर/सेकंड² होता है। जैसे-जैसे हम पृथ्वी तल से ऊपर जाते है g का मान घटता जाता है। लेख में सूत्र तथा समीकरणों की सहायता से बेहतरीन ढंग से समझाया गया है।
पृथ्वी की ऊंचाई और गहराई का g के मान पर क्या प्रभाव पड़ता है?
पृथ्वी में ऊंचाई तथा गहराई दोनों बढ़ने पर g के मान में कमी आती है।
पृथ्वी पर 0 गुरुत्वाकर्षण कहाँ है?
पृथ्वी के केंद्र में g का मान 0 गुरुत्वाकर्षण होता है।
सबसे शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण किस ग्रह का है?
बृहस्पति हमारे सौर मंडल में सबसे बड़ा है, यानी इसका गुरुत्वाकर्षण भी सबसे अधिक है। बृहस्पति पर आपका वजन पृथ्वी पर आपके वजन से ढाई गुना होगा।
पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण सबसे कमजोर कहां है?
पृथ्वी तल पर g का मान सबसे कम विषुवत रेखा पर होता है।
पृथ्वी पर आप सबसे हल्के कहां हैं?
विषुवत रेखा पर आप सबसे हल्के होंगे क्यूंकि पृथ्वी पर विषुवत रेखा में g का मान सबसे कम होता है और हम जाने है कि भार w=mg होता है। अतः यदि g का मान कम होगा तो वजन भी कम होगा अतः वह पर आप हल्के लगेंगे।
g का मान क्या होता है?
g का प्रमाणिक मान 45 डिग्री अक्षांश पर समुन्द्र तल पर लिया गया है। यह मान 9.80 मीटर/सेकंड² होता है।
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